सुप्रीम कोर्ट ने रानीखेत में एक किशोरी से छेड़छाड़ और बलात्कार के आरोपी दिल्ली के एक वरिष्ठ अफसर ए बी प्रेमनाथ के खिलाफ कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है।

मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति वी रामासुब्रण्यम और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने उत्तराखंड सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में उनका जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्री ने न्यायालय को बताया कि मेडिकल अधिकारी, गवर्नमेंट हॉस्पिटल, रानीखेत की रिपोर्ट पर अल्मोड़ा के रिमांड मजिस्ट्रेट का भी हस्ताक्षर है, जिससे यह जाहिर होता है कि याचिकाकर्ता हाथों से 100 प्रतिशत दिव्यांग है। पीठ ने कहा, यह रिपोर्ट उस वक्त तैयार की गई, जब याचिकाकार्ता को गिरफ्तार किया गया और मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने से पहले मेडिकल जांच कराई गई। न्यायालय ने कहा, चूंकि, याचिका गंभीर सवाल उठाती है, इसलिए नोटिस जारी किया जाए, जिसका जवाब चार हफ्तों के अंदर देना होगा। ज्ञात रहे कि 30 नवंबर 2022 को अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई और आरोप तय किया जाना बाकी है। इसलिए, आगे की कार्यवाही पर एक अंतरिम रोक लगाई जाती है। शीर्ष न्यायालय  ने दिल्ली सचिवालय में कार्यरत ए वी प्रेमनाथ नाम के अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है

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