नैनीताल । जिला उपभोक्ता आयोग, नैनीताल द्वारा इस पखवाड़े कई वादों में महत्वपूर्ण आदेश पारित किये । आयोग के अध्यक्ष रमेश कुमार अग्रवाल, सदस्य विजय लक्ष्मी थापा व लक्ष्मण सिंह रावत एक परिवाद में पीडित उपभोक्ता एम०बी०बी०एस० की छात्रा द्वारा लॉक डाऊन के दौरान अपनी ऑनलाईन पढाई जारी रखने के लिए खरीदे गये लैपटॉप के मदरबोर्ड के दो महीने के भीतर ही खराब निकल जाने के कारण विक्रेता दुकानदार को उसे वापस लेकर पीड़िता को क्रय किये गये लैपटॉप की पूरी कीमत 42,000/-रू० वापस देने हेतु आदेशित किया गया। एक अन्य परिवाद में नोटबन्दी के दौरान किये गये लेन-देन में परिवादी को अज्ञात व्यक्ति द्वारा दिये गये 2 लाख रूपये के दो चैकों का जिनका ना तो आहरण जारीकर्ता बैंक द्वारा किया गया था और ना ही मिसप्लेस होने की कोई लिखित शिकायत परिवादी द्वारा बैंक अथवा पुलिस को देने का कोई साक्ष्य लगाया गया और ना ही किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उसमें वर्णित रकम निकाली गयी। उक्त चैकों की वैधता अवधि भी समाप्त हो जाने के बाबजूद जमाकर्त्ता विपक्षी बैंक से दोनों चैकों की रकम 4,00,000/-रू० प्रदान कराये जाने हेतु योजित परिवाद को गलत, निराधार व औचित्यहीन मानते हुए परिवादी के उपर जुर्माना 20,000/-रू० अधिरोपित कर खारिज किया गया। जिला उधमसिंह नगर की एक दुकान से डी०जे० के लाये गये सामानों में से कई सामानों के खराब निकलने पर उसकी शिकायत करने तथा उन्हें बदल कर ना देने तथा उसकी कीमत वापस अदा न करने के कारण योजित परिवाद को जिला आयोग द्वारा स्वीकार कर विपक्षी दुकानदार को उपभोक्ता को विक्रय किये गये खराब सामानों की कीमत 2,62,300/-रू0 मय ब्याज परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक रूप में भुगतान किये जाने की तिथि तक उक्त रकम पर 8 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज जोड़कर अदा करने हेतु आदेशित किया गया। इसके अतिरिक्त 3 अन्य उपभोक्ता परिवादों का निस्तारण भी किया गया। दुर्घटनाग्रस्त वाहन स्वामी द्वारा दुर्घटना की एफ0आई0आर0 दर्ज किये बिना और बीमा कम्पनी द्वारा उसके बीमा क्लेम का निर्धारण अथवा निरस्त किये बिना योजित उपभोक्ता परिवाद सुनील मेहता बनाम इफ्को टोकियो इन्श्यौरन्स कम्पनी में आयोग ने बीमा कम्पनी द्वारा की गयी आपत्ति को स्वीकार कर परिवाद को अपरिपक्व तथा बीमा कम्पनी को परेशान करने के लिए जानबूझकर तथा जल्दबाजी में योजित किया गया माना । आयोग द्वारा बीमा कम्पनी से कहा कि वह परिवादी के बीमा क्लेम को यथाशीघ्र निर्धारित अथवा निस्तारित कर अपने निर्णय से परिवादी को अवगत कराये तथा परिवादी सुनील मेहता को बीमा कम्पनी के समक्ष सारी मांगी गयी जानकारियों प्रदान करने, बीमा क्लेम की औपचारिकताओं को पूरा करने और अपने बीमा क्लेम का निर्धारण अथवा निस्तारण बीमा कम्पनी से करवाने को कहा । तदोरान्त बीमा कम्पनी के निर्णय से असहमत होने पर पुनः अपना परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष योजित करने की राहत दी । लेकिन आयोग ने परिवाद को बीमा कम्पनी द्वारा निर्धारित अथवा अस्वीकृत किये जाने से पूर्व ही अपरिपक्व स्थिति में योजित किये जाने के कारण परिवादी पर 25,000/- रू0 का जुर्माना सहित ख़ारिज किया गया। जिस पर पंतनगर जिला उधमसिंह नगर निवासी परिवादी सुनील मेहता द्वारा परिवाद की कार्यवाही के दौरान स्वयं को न्यूज वर्ल्ड, मीडिया चैनल का स्टेट हैड बताकर एक बार जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष के चैम्बर में बिना अनुमति घुस कर तथा दूसरी बार परिवाद की सुनवाई के दौरान न्यायालय में अपना उक्त परिचय बताकर अपना प्रभाव जमाने का प्रयास भी किया गया था। जिला आयोग द्वारा उपरोक्त पारित निर्णय को अपने मनमुताबिक पक्ष में न पाकर तथा लगाये गये जुर्माने से बौखलाकर परिवादी सुनील मेहता उपरोक्त द्वारा जिला आयोग, नैनीताल के कार्यालय में अपने मीडिया में होने का रौब दिखाते हुए तथा धमकाते हुए काफी बदतम्मीजी व अभद्रता भी की गयी । जिसे आयोग द्वारा उसकी हार स्वीकार न कर पाने के कारण उत्पन्न हुई तिलमिलाहट मानकर नजरअन्दाज कर दिया गया तथा परिवादी व उसके अधिवक्ता को इस आदेश से असन्तुष्ट होने पर इसके विरुद्ध अपील कर सकते हैं” कहकर समझा-बुझाकर उन्हें वापस भेजा गया।
विद्युत विभाग हल्द्वानी के विरुद्ध योजित एक परिवाद नरेन्द्र सिंह बनाम यू०पी०सी०एल० में विपक्षी विद्युत विभाग को परिवादी के अस्थाई विद्युत संयोजन को स्थायी करने एवं विद्युत विभाग द्वारा परिवादी पर अधिरोपित पेनाल्टी मुव 9982/-रू0 को निरस्त करने के साथ ही परिवादी से लाईनमैन मानसिंह द्वारा ठगे गये मुब 8000/-रू० को परिवादी को वापस दिलवाये जाने तथा परिवादी को हुई परेशानी एवं मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए मुब 20,000/- रू० तथा बाद व्यय के रूप में मुद 5000/- (पाँच हजार रू०) कुल 25,000/- (पच्चीस हजार रू०) का भुगतान परिवादी को अदा करने अथवा उक्त धनराशि को परिवादी के भविष्य के विद्युत बिलों में समायोजित करने का आदेश पारित किया गया ।