मोहर्रम का चांद दिखते ही शिया समुदाय इमामबाड़ागाह मोटा पानी तल्लीताल में मजलिसों का आयोजन शुरू हो गया है । मौलाना सज्जाद करगिरी मजलिस को खिताब कर रहे हैं मौलाना ने बताया किस तरह से नवासे रसूल ने कर्बला में बताया ये जंग न दौलत के लिए, न जमीन के लिए ये जंग सिर्फ हक व बातिल और इमान के लिए थी। एक तरफ लाखों की फौज तो दूसरी तरफ महज 72 लोग थे। औरतों और दूध पीनेवाले बच्चों सहित अन्य लोगों पर ढाए गए जुल्म व सितम की कभी न भूली जाने वाली दर्द भरी दास्तां है “मोहर्रम” । मैदान ए कर्बला में हजरत इमाम हुसैन की शहादत ने दुनिया में इस्लाम का बोलबाला कर दिया।
इमाम हुसैन की शहादत व इस्लाम को जिदा रखने और रसुल की आंखों की ठंडक नमाज को कायम रखने की सीख देता है। इस्लाम फैल रहा था और यजिदी हुकूमत को ये बात नागवार लगी। यजीदियों ने साजिश की और हजरत इमाम हुसैन को धोखे से पत्र भेजकर कर्बला में बुलाया। इमाम हुसैन को कहा गया कि यजीद उनके हाथों बैत करना चाहता हैं। यजिदियों का मकसद असल में कुछ और था। जब इमाम हुसैन अपने 72 लोगों के साथ करबला के पास पहुंचे तो उन्हें रोक दिया गया। कहा गया कि इमाम हुसैन और उनके काफिले में शामिल लोग यजीद के हाथ बैत करले नहीं तो यजिदी फौजों के साथ जंग करनी होगी। यजिदी फौज अपनी बात को मनवाने के लिए इमाम हुसैन और उनके काफिले में शामिल लोगों पर जुल्म व सितम ढाना शुरू कर दिया।
पानी पर पहरा लगा दिया गया। दूध पीते छः माह के नन्हे असगर को भी यजिदी फौजों ने तीरों से छलनी कर दिया। एक एक कर मासूमों को भी मौत के घाट उतार दिया गया। भूख प्यास की शिद्दत के बाद भी हुसैन के खेमे के लोगों को शहीद कर दिया गया। सजदा करते हुए इमाम हुसैन ने भी शहादत का जाम पी लिया। कर्बला के मैदान में हुई इस जंग के बाद दुनिया में इस्लाम तेजी से फैला। आज दुनिया के कोने-कोने में इस्लाम के मानने वाले इमाम हुसैन की शहादत की याद करने वाले दुनिया के हर कोने में पाए जाते हैं
( इंसान को बेदार तो हो लेने दो हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन)
सदर ए आर खान द्वारा बताया गया कि विगत वर्षों की तरह 10 मोहर्रम का जुलूस मंजूर हुसैन की आवास से मोटा पानी इमामबारगाह में संपन्न होगा ।