नैनीताल । उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू की गई “समान नागरिक संहिता (यूसीसी)” पर रविवार को ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस द्वारा नगर पालिका सभागार नैनीताल में परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा से पूर्व स्व. चंद्र सिंह गढ़वाली, गौरा देवी, श्रीदेव सुमन, शहीद कामरेड चंद्रशेखर की तस्वीरों पर पुष्प अर्पित किए गए।
परिचर्चा के मुख्य वक्ता भाकपा माले के उत्तराखण्ड राज्य सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि, समान नागरिक संहिता के नाम से जो कानून उत्तराखण्ड सरकार ने बनाया है, वो असंवैधानिक, जनविरोधी, अल्पसंख्यक द्वेषी और महिला विरोधी है, उत्तराखण्ड की जनता को इसका ‘नागरिक बहिष्कार’ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि, संविधान में व्यवस्था है कि समान नागरिक संहिता जब बनेगी तो पूरे देश के लिए होगी । लेकिन सिर्फ अपने अल्पसंख्यक द्वेषी, महिला विरोधी मंसूबों को पूरा करने के लिए उत्तराखंड पर एक ऐसा कानून थोप दिया गया है, जो समाज के हर  हिस्से के लिए परेशानी पैदा करेगा।
जिस तरह से सभी के लिए विवाह के पंजीकरण की अनिवार्यता रखी गई है, वो अगले छह महीने तक सारे उत्तराखंड के सभी लोगों को लाइन में खड़ा होने के लिए विवश करेगा।
माले राज्य सचिव ने कहा कि, विवाह, तलाक़, लिव इन के पंजीकरण के लिए जिस तरह की निजी जानकारी मांगी गयी है, वे न केवल लोगों के निजता के अधिकार का हनन है बल्कि सरकार का लोगों के जीवन में अवांछित हस्तक्षेप भी है। यह पूरी कवायद एक पुलिसिया निगरानी तंत्र खड़ा करने की कोशिश है।
कामरेड मैखुरी ने कहा कि, उत्तराखंड में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में भाजपा नेताओं की संलिप्तता पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चुप्पी, उनके महिला समर्थक होने के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है।
मुख्य अतिथि बार काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष, पूर्व सांसद डॉ महेन्द्र सिंह पाल ने कहा कि, सरकार कोई भी कानून  बनाए, उस कानून को समझने, जांचने की कसौटी क्या होगी? कसौटी होगी भारत के संविधान में अंतर्निहित भावना, यही किसी भी आलोचना या सहमति का आधार हमारे लिए हो सकती है। ये आधार इस बात को बताता है कि कोई कानून, नियम, जनता के व्यापक हित का हिस्सा बनेगा या इसके ठीक उलट होगा। समान नागरिक संहिता का यह कानून व्यापक जनता के हित के खिलाफ है, यह संविधान सम्मत नहीं है, यह सरकार संविधान के विरुद्ध कार्य कर रही है।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुर्गा सिंह मेहता ने कहा कि, यूसीसी के आने के बाद जनता में भय व्याप्त है। बीजेपी और संघ के अनुषांगिक संगठनों द्वारा समान नागरिक संहिता के माध्यम से जिस तरह सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है वह सामाजिक विभाजन को ही तेज करने का काम करेगा, इस बात से इस कानून की विश्वसनीयता ही सवालों के घेरे में आ गई है।
परिचर्चा में मुनीश कुमार, एडवोकेट डी के जोशी, संस्कृतिकर्मी जहूर आलम, माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय, ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के के बोरा, मनोज, बिशन सिंह मेहता, भावना भट्ट, आरती, पंकज, राजेन्द्र सिंह, प्रभात, हरीश पाठक, गुंजिता, उषा, तन्मय, प्रोनोबेस करमाकर, टुम्पा चक्रवर्ती, शिखा, विशाल, चेतन आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।
परिचर्चा का संचालन ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) के संयोजक एडवोकेट कैलाश जोशी ने किया।

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