*असमंजस की स्थिति से रहें दूर-:*
इस बार उत्तराखंड में 21 अक्टूबर दिन मंगलवार को ही मनानी चाहिए दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) क्योंकि यही शास्त्र सम्मत है।
*शुभ मुहूर्त-:*
दिनांक 21 अक्टूबर 2025 दिन मंगलवार को यदि अमावस्या तिथि की बात करें तो इस दिन 28 घड़ी 55 पल अर्थात शाम 5:55 बजे तक अमावस्या तिथि रहेगी। इस दिन चित्रा नामक नक्षत्र 41 घड़ी 35 पल अर्थात रात्रि 10:59 बजे तक है। यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो इस दिन चंद्र देव प्रातः 9:36 बजे तक कन्या राशि में विराजमान रहेंगे तदुप्रांत चंद्र देव तुला राशि में प्रवेश करेंगे।
*निर्णयसिन्धु निर्णयानुसार-:*
*प्रदोष समये लक्ष्मीं पूजयित्वा ततः क्रमात्, दीपवृक्षाश्च दातव्याः शक्त्या देवगृहेषु च ।*
*कार्तिके मास्यमावास्यां तस्यां दीप प्रदीपनम्।*
*शालायां ब्राह्मणः कुर्यात स गच्छेत् परमं पदम्।।*
दर्श अमावास्या प्रदोष काल से आधीरात तक रहने वाली श्रेष्ठ होती है। यदि आधी रात तक न हो तो तो प्रदोष व्यापिनी को लेना चाहिए। क्योंकि प्रदोष काल लक्ष्मी पूजन के लिए अधिक बलवान होता है। दोनों दिन संयोग वसात आ जाये तो कृष्णपक्ष में चतुर्दशी विद्धा के बजाय प्रतिपदायुक्ता अमावस्या श्रेष्ठ होती है, जो इस वर्ष 21 अक्टूबर को ही है।
अक्षांश और देशांतर में अंतर होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य भागों में दीपावली 20 अक्टूबर को मनाया जाना सही है, पूरे भारतवर्ष में मंत्र और तंत्र सिद्धि के लिए भी निशीथ काल व्यापिनी अमावस्या में 20 अक्टूबर को अर्धरात्रि में साधना की जाएगी । परंतु पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित गढ़वाल और कुमाऊं मिलाकर पूरे उत्तराखंड में 20 अक्टूबर को छोटी दीपावली तथा 21 अक्टूबर को प्रदोष काल में सायंकाल 5:35 से 8:14 तक प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन तथा दीपोत्सव का त्योहार मनाना शास्त्र सम्मत है।
*दण्डेकरजनीयोगे दर्श: स्यात्तु परेअ्हनि।*
*तदा विहायपूर्वेद्यु: परेअ्ह्नि सुखरात्रिका।।*(तिथि तत्व)
अर्थात यदि दो दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या होती है तो दूसरे दिन दीपावली (महालक्ष्मी पर्व) मनाना चाहिए।
*आचार्य पंडित प्रकाश जोशी*
