*शौभाग्य एवं शोभन योगों में मनाया जाएगा इस बार भाईदूज पर्व*।


भाई दूज का पर्व संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने धरती पर आए। उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। बहन यमुना ने उनका आदर सत्कार किया उनके आदर सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने कहा की जो व्यक्ति इस तिथि में यमुना में स्नान करेगा उसे मृत्यु के बाद यम यातनाएं नहीं सहनी पड़ेगी। इसलिए इस दिन यमुना में स्नान का बड़ा महत्व है। देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं संभाग में इस दिन धान से बने च्यूड पूजने की परंपरा है। बहिन भाई को च्यूड पूजती है।

 

इस बार सन 2024 में दिनांक 2 नवंबर को रात्रि 8:22:00 से द्वितीया तिथि प्रारंभ होगी और 3 नवंबर को रात में 10: 06 तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 3 नवंबर रविवार को भाई दूज पर्व मनाया जाएगा। यदि शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस दिन प्रातः 11:39 तक शौभाग्य योग रहेगा इसके बाद शोभन योग प्रारंभ होगा। इसलिए इस दिन पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 11:45 तक रहेगा। इसके बाद 11:48 से 12:32 तक है । तदुपरांत 1:10 से दोपहर 3:22 तक है। इसके अलावा शाम को 5:45 से 7:20 तक है। टीका का समय प्रातः काल सही माना जाता है।

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भाईदूज की कथा -:
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया हैं।भगवान सूर्य और छाया के पुत्र और पुत्री हैं यमराज तथा यमुना जी। यमुना जी को अपने भाई यमराज से बड़ा लगाव था। वह उनसे बराबर निवेदन करती रहती कि अपने इष्ट मित्रों के साथ आकर उनके घर भोजन करें। काम की व्यस्तता के चलते यमराज जी बहन की बातैं टालते रहे। कार्तिक शुक्ल पक्ष का दिन था।यमुना जी ने अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर आने के लिए आमंत्रित कर वचनबद्ध कर दिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला
हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता।
बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही हैं, उसका
पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने स्नान कर पूजा करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।यमुना ने कहा कि भद्र। आप प्रतिवर्ष इसी दिन मेरे घर आया करें। मेरी तरह जो बहन इस दिनअपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें,
उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर
यमलोक के लिए प्रस्थान किया। इसी दिन से
भाई दूज के पर्व की परंपरा का प्रारंभ हुआ।
ऐसी मान्यता है कि जो बहनें अपनी भाई का
आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यमराज का भय
नहीं रहता। इसलिए भैया दूज के दिन यमराज तथा यमुना जी का पूजन किया जाता है और इस दिन बहिन के घर में भोजन करने का भी महत्व है।

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आलेख -: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

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