नैनीताल । उत्तराखण्ड में अधिकारियों द्वारा जबरन दुकानों मकानों और रेटोरेंटों में अतिक्रमण बताकर कार्रवाई का डर दिखाने पर हाईकोर्ट में याचिका मेंसन हुई है।
नैनीताल से पूर्व कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. महेन्द्र पाल सिंह ने अधिकारियों द्वारा जबरन कार्रवाई पर रोक की मांग की है। हांलाकि हाईकोर्ट ने उत्तराखण्ड़ बार काउंसिल के अध्यक्ष डॉ.महेन्द्र पाल सिंह को कहा है कि वो याचिका कोर्ट में लेकर आएं इसके बाद इस पर सुनवाई करेंगे।  ज्ञात हो कि हाईकोर्ट ने नदी और सड़कों के किनारे से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिये हैं जिसके बाद वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और जिला प्रशासन द्वारा नैनीताल के भवाली, हल्द्वानी, पतलोट, भीमताल,ज्योलीकोट समेत राज्य के अन्य हिस्सों में सड़कों के किनारे अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर ध्वस्त करने को कहा है । अधिकारियों द्वारा पीपी एक्ट के बजाए सीधे कर्रवाई पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट के कई अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायधीश कोर्ट में एक तरफा कार्रवाई का विरोध किया है और इस कार्रवाई को रोकने की मांग की है। कोर्ट में मेंसन के दौरान कहा गया है कि इस वक्त आपदा आई है और दूसरी आपदा प्रशासन द्वारा जारी कर दी गई है जिससे राज्य के कई घर परिवारों पर संकट बन गया है इससे ना सिर्फ पहाड़ से पलायन होगा बल्कि बेरोजगारी भी राज्य में बढ़ेगी ।
   बता दें कि 26 जुलाई को एक याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने वन भूमि भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश सभी डीएम और डीएफओ को दिये थे और कहा था कि कार्यवाही रिपोर्ट कोर्ट में 5 सितंबर तक दाखिल करें।

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