नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भूतपूर्व सैनिकों को केवल एक बार आरक्षण का लाभ देने सम्बन्धी राज्य सरकार के 22 मई 2020 के शासनादेश को ‘उत्तर प्रदेश लोक सेवा (शारीरिक रूप से विकलांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित और भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1993’ के खिलाफ मानते हुए रद्द कर दिया है । यह अधिनियम उत्तराखंड में भी लागू है । मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई ।
मामले के अनुसार सेना से सेवानिवृत्त हवलदार व रामनगर में सहायक अध्यापक दिनेश चंद्र कांडपाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा 22 मई 2020 को जारी आदेश को वर्ष 2021 में चुनौती दी । याचिकाकर्ता के अनुसार यह शासनादेश, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिसम्बर 1993 में जारी भूतपूर्व सैनिक, विकलांग व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों के लिए आरक्षण अधिनियम के खिलाफ है । उक्त अधिनियम में भूतपूर्व सैनिकों को केवल एक बार आरक्षण का लाभ देने का उल्लेख नहीं है और यही अधिनियम उत्तराखंड में भी लागू है ।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने उक्त शासनादेश को निरस्त कर दिया है ।