नैनीताल । लोक निर्माण विभाग व सिंचाई विभाग के उत्तराखण्ड फील्ड कर्मचारी महासंघ ने कुमाऊं के सभी जिलों के अध्यक्ष व महामंत्री मनोनीत किए हैं । महासंघ ने वर्कचार्ज की सेवा को जोड़ते हुए पेंशन का लाभ देने की मांग की है और सरकार द्वारा इसके खिलाफ लाये गए अध्यादेश के विरोध में आंदोलन करने का निर्णय लिया है।
लोक निर्माण विभाग एवं सिंचाई विभाग के कार्मिकों ने मिलकर 28 जून 2023 को महासंघ की प्रान्तीय कार्यकारणी का गठन किया था । प्रान्तीय कार्यकारिणी के गठन के बाद कुमाऊं मंडल की कार्यकारिणी के विस्तार हेतु 10 सितंबर को सिंचाई विभाग के निरीक्षण भवन बाजपुर में महासंघ की बैठक हुई। इस बैठक में प्रान्तीय व कुमाऊँ मण्डल के दोनों विभागों के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों के द्वारा भागीदारी की गई ।
बैठक में वक्ताओं ने लोक निर्माण विभाग व सिंचाई विभाग के कर्मचारियों की वर्कचार्ज की सेवा को जोडते हुये उन्हें पेंशन आदि का लाभ दिये जाने हेतु चर्चा की गयी तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रेम सिंह बनाम सरकार के खिलाफ सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश के खिलाफ आन्दोलन करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में महासंघ के प्रान्तीय अध्यक्ष जय प्रकाश यादव, महामंत्री दीगपाल सिंह बिष्ट, लोक निर्माण विभाग के प्रान्तीय अध्यक्ष हिकमत सिंह नेगी, महामंत्री राजेश प्रसाद, प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललित चन्द्र शर्मा, गढ़वाल मण्डल से सिंचाई विभाग के ओम प्रकाश भट्ट, कुलदीप शर्मा, सतपाल सैनी, रामराज मौर्य के अलावा कुमाऊँ के क्षेत्रीय अध्यक्ष हरीश चन्द्र तिवारी, नन्द किशोर जोशी, आनन्द टाकुली, कुलदीप कुन्नू, नरेन्द्र सिंह, नवीन शर्मा, विरेन्द्र सिंह, देवेन्द्र सिंह, राजेन्द्र प्रसाद जोशी, रूप सिंह, बालकृष्ण आर्य, महेश राम टम्टा, असद उल्लाखान, महेन्द्र सिंह विष्ट, गोधन सिंह नेगी, दिलबाग, गोर्वधन सूर्य, बालकिशन आदि थे ।
बैठक में चम्पावत का जिलाध्यक्ष सी एम कापड़ी, महामंत्री राजेन्द्र प्रसाद जोशी, पिथौरागढ़ का जिलाध्यक्ष बिरेन्द्र सिंह, महामंत्री देवेन्द्र सिंह, अल्मोडा का जिलाध्यक्ष श्रीमती दीपा विष्ट, बागेश्वर का जिलाध्यक्ष हीरा सिंह नेगी, नैनीताल जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह बिष्ट, महामंत्री गोधन सिंह, उधमसिंहनगर जिलाध्यक्ष असद उल्लाखान एवं महामंत्री कालीचरण के अलावा कुमाऊँ वरिष्ठ उपाध्यक्ष रूप सिंह को मनोनीत किया गया ।
कुमाऊँ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों द्वारा प्रान्तीय अध्यक्ष को आश्वस्त किया कि 15 सितम्बर तक सरकार द्वारा अपने एक्ट को वापस न ले जाने की दशा में आन्दोलन की रणनीति बनाते हुये उत्तराखण्ड सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया जायेगा एवं सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट एवं अन्य अदालतों में रिट याचिकायें दायर की जायेगी जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी ।