आज दिनांक 24 सितंबर 2025 दिन बुधवार को मां चंद्रघंटा की पूजा होगी।
*शुभ मुहूर्त-:*
आज यदि तृतीया तिथि की बात करें तो तृतीया तिथि अहोरात्रि तक रहेगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो चित्रा नामक नक्षत्र 25 घड़ी 27 पल अर्थात शाम 4:16बजे तक रहेगी। एंद्र नामक योग 35 घड़ी 22 पल अर्थात रात्रि 9:02 बजे तक है। तैतिल नामक करण 29 घड़ी 40 पल अर्थात शाम 5:57 बजे तक है। सबसे महत्वपूर्ण यदि आज के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो आज चंद्र देव पूर्ण रूपेण तुला राशि में विराजमान रहेंगे।
पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त-:
यदि पूजा के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त की बात करें तो प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में 4:35 बजे से 5:23 बजे तक पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।
*पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता ॥*
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा-आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करनी चाहिए।उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है।
इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। इस देवी के दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं।
सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं।नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करनी चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं। यह देवी कल्याणकारी है।
मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।
।।मंत्रः।।
सरल मंत्र :-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
माता चंद्रघंटा का उपासना मंत्र-:
*पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता ।।*
महामंत्र -:
*या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः*
ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान जपना होता है।
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है-:
‘ऐं श्रीं शक्तयै नमः।।
आलेख-:
आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।



