नौकुचियाताल ।  बसंत पंचमी के अवसर पर नौकुचियाताल स्थित हर की पैड़ी पर आज हुए बड़ी संख्या में जनेऊ संस्कार हुए ।

देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल जनपद स्थित नैनीताल शहर से 26 किलोमीटर दूर एवं भीमताल से 4 किलोमीटर दूरी पर एवं काठगोदाम से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित यह झील सौंदर्य से भरपूर है। इस झील का
आकार और इसकी सुंदरता इसे सभी झीलों से अलग बनाती है। नौकुचिया ताल शाब्दिक अर्थ (नौ कोने वाला ताल) अर्थात यह झील कोने वाली है इसलिए इसे नौकुचियाताल कहते हैं ।

यदि इसके पौराणिक नाम की बात करें तो इसे सप्त सरोवर कहते हैं। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1220 मीटर है। इस गहरी
एवं स्वच्छ झील में कुल 9 कोने हैं झील की लंबाई 983मीटर है और चौड़ाई 693 मीटर तथा गहराई 40.3 मीटर है। यह झील एक आकर्षक घाटी में स्थित है। यहां
का मुख्य आकर्षण मछली पकड़ना एवं विभिन्न प्रकार के
पक्षियों को निहारना है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए नौकायन की पर्याप्त व्यवस्था है। इस झील के एक भाग में कमल ताल भी है जहां पर्याप्त मात्रा में कमल के
फूल देखने को मिलते हैं।यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि इस झील के पास 9भाइयों ने ध्यान किया था। वह ताल के 9 कोनों में बैठकर अदृश्य रूप से ध्यान किया करते थे। कोई भी एक कोने
से दूसरे कोने में नहीं देख सकता था। आज भी लोग इस झील के 9 कोनों को एक साथ नहीं देख सकते हैं। ऐसा
माना जाता है कि अगर किसी ने इन सभी 9 कोनों को एक साथ देख लिया तो या तो वह राजा बन जाता है या उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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आज बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर यहां बड़ी संख्या में जनेऊ संस्कार एवं चूड़ाकरण संस्कार हुए।

*आचार्य-: पंडित प्रकाश जोशी ।

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