नैनीताल ।भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय की संस्थापक प्रधानाचार्या स्व० श्रीमती कला बिष्ट की 14 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शुक्रवार को विद्यालय में  श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
     इस अवसर पर प्रधानाचार्य बिशन सिंह मेहता, श्रीमती रश्मि, आलोक कुमार ने उनके चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया। अपने सम्बोधन में प्रधानाचार्य बिशन सिंह मेहता ने कला दीदी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जब इस विद्यालय की स्थापना प्रताप भैय्या ने 1 जुलाई 1964 में की थी । उस समय एक छात्र व एक शिक्षिका स्व० श्रीमती कला बिष्ट ने इसकी शुरूआत की। कला दीदी ने अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए इस विद्यालय को इस मुकाम तक पहुंचाने में अपना पूर्ण सहयोग दिया। उनका अनुशासन व व्यक्तित्व का ही प्रभाव है कि उनके कार्यकाल में विद्यालय में पढ़े लोग आज भी उन्हें सम्मान के साथ याद करते हैं और उन्हें बड़ी दीदी के नाम से ही पुकारते हैं। इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्रीमती रश्मि नेगी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जब स्व०
प्रताप भैया ने शहीद सैनिकों की स्मृति में 01 जुलाई 1964 में भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय, नैनीताल की स्थापना की. तब कला दीदी जी ने अपनी नियमित अच्छी नौकरी छोड़कर इस विद्यालय की संस्थापक प्रधानाचार्य का पद स्वीकार कर एक छात्र एक आध्यापक व एक कमरा के साथ विद्यालय आरम्भ किया। वित्तीय तंगी तथा कई कठिनाईयों का सामना करते हुए भी उन्होंने शिक्षण कार्य जारी रखा। अन्ततः कड़ी मेहनत, दृढ संकल्प, समर्पण, निष्ठा त्याग एवं सेवा भाव से विद्यालय को इण्टरमीडिएट स्तर तक पहुंचाया। आज विद्यालय नैनीताल के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों की श्रेणी में गिना जाता है, जिसमें आज 1400 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान देने तथा लगातार 8 वर्षों तक विद्यालय का शत-प्रतिशत परीक्षाफल देने के लिए कला बिष्ट को वर्ष 1984-85 के लिए 5 सितम्बर 1985 को राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शिक्षा के क्षेत्र के साथ-साथ उन्होंने सामाजिक उत्थान विशेषकर कर महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने 1990 में ऑल इण्डिया वूमैन्स कॉन्फेन्स की स्थापना नैनीताल में की और इस संस्था की कई वर्षों तक वे संस्थापक सचिव रही और उन्होंने कोलकाता, दिल्ली, देहरादून और मेरठ में आयोहित कॉन्फेन्स की राष्ट्रीय अधिवेशनों में भाग लिया। 1992 में इन्टरनेशन एलाइंसेज ऑफ वूमैन्स की पहल पर 8 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधि मण्डल के रूप में एथेन्स (यूनान) में भाग लिया। अपने सचिवीय कार्यकाल में उन्होंने कॉन्फैन्स की हल्द्वानी एवं काशीपुर शाखाओं की भी स्थापना की। बड़ी दीदी के नाम से प्रसिद्ध कला बिष्ट की एक विशिष्टता यह थी कि वह जो भी कार्य अपने हाथ में लेती, उसको पूरा करने एवं सफल बनाने के लिए पागलपन की हद तक जुट जाती। शायद हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने का उनका राज भी यही था। उनके संगठनात्मक कार्यक्षमता कर्तव्यनिष्ठा, समर्पण भाव, परिश्रमशीलता एवं नेतृत्व प्रदान करने की अदभुत क्षमता थी. इन्हीं गुणों के कारण उनका व्यक्तित्व हम सबके लिए एवं समाज के लिए प्रेरणादायक है।
विद्यालय के शिक्षक आलोक कुमार ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके सानिध्य में गुजारे अनेक संस्करण सुनायें। उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में विद्यालय के प्रबन्धक चेत सिंह बिष्ट, ज्योति प्रकाश, डॉ० नीता बोरा शर्मा, त्रिलोक सिंह बिष्ट, प्रवीण सती, मीनाक्षी, गोविंद बोरा, नवीन पाठक, शाहनवाज, उत्कर्ष बोरा, मनोज कुमार, आलोक भट्ट, दरपान सिंह, सागर, मंजू जोशी, आशा, उमा, कविता उपाध्याय, अवन्तिका, शिखा, मोहन सिंह, भगवान सिंह,भोला सिंह,प्रकाश चन्द्र आदि लोग थे।

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You missed

You cannot copy content of this page