नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा 31 दिसम्बर को सेवानिवृत हो रहे हैं । 29 दिसम्बर को उनका आंखिरी कार्य दिवस था । उनकी सेवानिवृत्ति के बाद अब हाईकोर्ट में जजों की संख्या 6 रह गई है ।
न्यायमूर्ति शरद शर्मा का जन्म 1 जनवरी 1962 को इलाहाबाद में हुआ था । उनकी शिक्षा इलाहाबाद में हुई । 1992 में उन्होंने एल एल बी की डिग्री हासिल की थी । वर्ष 1992 से 2000 तक उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की ।उत्तराखंड हाईकोर्ट बनने के बाद 2000 में वे नैनीताल हाईकोर्ट आ गए ।
वर्ष 2009 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया और 19 मई 2017 को उत्तराखंड हाईकोर्ट में जज बने और करीब 6 वर्ष 7 माह की सेवा के बाद वे सेवानिवृत हो गए ।
भीमताल क्षेत्र में बाघ द्वारा तीन महिलाओं को मार देने के बाद वन विभाग द्वारा बाघ को आदमखोर घोषित कर उसे मारने का आदेश देने का न्यायमूर्ति शरद शर्मा की खण्डपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए वन विभाग को आदमखोर बाघ को चिन्हित करने से पूर्व न मारने का आदेश उनकी ही पीठ से जारी हुआ था ।
कालाढूंगी से बाजपुर तक पेड़ों के अवैध कटान व बी डी पांडे अस्पताल नैनीताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने का भी उनकी पीठ ने स्वतः संज्ञान लिया था ।
न्यायमूर्ति शरद शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद अब हाईकोर्ट में जजों की संख्या 6 रह गई है । वर्तमान में हाईकोर्ट में मुख्य न्यायधीश का पद भी रिक्त है और वरिष्ठ न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी मुख्य न्यायधीश हैं ।
सुप्रीम कोर्ट की कॉलिजियम द्वारा उत्तराखंड हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायधीश व दो अन्य जजों की नियुक्ति की संस्तुति पूर्व में ही क़ी है ।