इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत और समापन के अवसर पर आसमान में खगोलीय दृष्टि से अद्भुत संयोग बन रहा है। जहां
भाद्रपद पूर्णिमा यानी 7 सितंबर, रविवार को पूर्ण चंद्रग्रहण लगा था यह चन्द्र ग्रहण भारत में दिखाई दिया और सूतक काल भी भारत में मान्य था।
अब जबकि पितृपक्ष का समापन अमावस्या, यानी महालय पक्ष के अन्तिम दिन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लगेगा । परन्तु यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसका कोई दुष्प्रभाव भी भारत पर नहीं पड़ेगा और यहां सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। सूर्य ग्रहण को दुर्लभ योग माना जा रहा है।वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो सूर्य ग्रहण 2025 को एक विशेष खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है।
21 सितंबर, रविवार को सूर्य ग्रहण 2025 रात 10 बजकर 39 मिनट से प्रारम्भ होगा।इस दिन पितृ पूजन, पितृ कार्य निःसंदेह नि: संकोच किया जा सकेगा ।
*आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*



