आदेश का हो अक्षरशः पालन-:

नैनीताल ।  उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने  मातृ सदन बनाम भारत संघ एवं अन्य, जनहित याचिका संख्या 15 / 2022 में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है । जिसके तहत गंगा नदी के संरक्षण को दृष्टिगत रखते हुए हरिद्वार जनपद के रायवाला से भोगपुर तक गंगा नदी के दोनों तटों के 5 किलोमीटर के भीतर स्थित सभी स्टोन क्रशर इकाइयों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ द्वारा पारित इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस क्षेत्र में स्थित कुल 48 स्टोन क्रशर इकाइयों को तत्काल प्रभाव से सील किया जाए। इन इकाइयों का संचालन पूर्णतया रोका जाए और सुनिश्चित किया जाए कि वे किसी भी प्रकार से दोबारा क्रियाशील न हो सकें।

 

कोर्ट ने आगे निर्देशित किया है कि इन 48 क्रशर इकाइयों की बिजली तथा पानी की आपूर्ति तुरंत बंद कर दी जाए, जिससे उनका कोई भी यांत्रिक या औद्योगिक संचालन संभव न रह सके। यह निर्देश संबंधित विद्युत विभाग तथा जल संस्थान को भी बाध्यकारी रूप से अनुपालन हेतु निर्देशित करता है।

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उक्त आदेश के अनुपालन की जिम्मेदारी हरिद्वार के जिलाधिकारी तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से सौंपी गई है। दोनों अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना है कि उच्च न्यायालय के निर्देशों का अक्षरशः पालन हो और किसी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए। न्यायालय ने निर्देशित किया है कि उक्त अधिकारी एक सप्ताह की अवधि के भीतर अनुपालन रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करें।

खंडपीठ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह आदेश उच्चतम न्यायालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  के 06.12.2016 के दिशा-निर्देशों, और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन  के 09.10.2018 के आदेशों के परिपालन में पारित किया गया है। यदि राज्य सरकार द्वारा कोई ऐसा आदेश पारित किया गया हो जो उपरोक्त मानकों या निर्देशों के विपरीत हो, तो वह आदेश न्यायालय की दृष्टि में प्रभावहीन और अनुपालन योग्य नहीं होगा।

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न्यायालय ने मामले की अंतिम सुनवाई की तिथि 12 सितम्बर 2025 निश्चित की है, जिसमें आदेशों के अनुपालन की समीक्षा की जाएगी। इससे पूर्व न्यायालय को यह आश्वासन प्राप्त होना अपेक्षित है कि 48 में से एक भी स्टोन क्रशर पुनः संचालन में नहीं है और सभी सील किए जा चुके हैं।

इस प्रकार, उच्च न्यायालय का यह आदेश न केवल गंगा नदी और उसके पारिस्थितिकीय तंत्र की रक्षा के लिए एक सशक्त हस्तक्षेप है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि पर्यावरणीय कानूनों और न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेशों की पूर्ण अनुपालना की जाए।

By admin

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