नैनीताल । साहित्य, संस्कृति, कला पर आधारित  ‘हिमालयन इकोज़ फेस्टिवल’ शनिवार से  मल्लीताल ए. टी.आई. के निकट स्थित एबॉट्सफ़ोर्ड एस्टेट (प्रसादा भवन) में शुरू हो गया है । इस कार्यक्रम में साहित्य, आर्ट्स,खान पान, पेंटिंग्स आदि से जुड़े लोग हिस्सा ले रहे हैं । पहले दिन हिमालयन ईकोज की संस्थापक जान्हवी प्रसाद की नैनीताल पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी हुआ ।
  समारोह की शुरुआत हिमालयन इकोज़ की संस्थापक और निदेशक जान्हवी प्रसादा के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने इस समारोह के एक दशक लंबे सफ़र पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि पहला कार्यक्रम 6 वक्ताओं और 50 श्रोताओं के साथ शुरू हुआ था। जो अब बड़ा स्वरूप ले चुका है । उन्होंने इस कार्यक्रम को हिमालयी संस्कृति के संरक्षण के लिए रचनात्मक और भावनात्मक रूप से आवाज़ उठाने वाला एक गतिशील मंच बताया।
प्रसिद्ध कला इतिहासकार और विद्वान डॉ. अलका पांडे ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने इतिहास, पौराणिक कथाओं और भूगोल को एक साथ जोड़ते हुए विद्वतजनों को  पहाड़ों की संस्कृतियों और पर्यावरण को देखने के लिए आमंत्रित किया। डॉ. पांडे ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कवि कालिदास ने हिमालय को एक भू-दृश्य से उठाकर एक “सचेत प्राणी, दिव्य उपस्थिति से भरी एक जीवित सत्ता” बना दिया था।
  आज दिन भर में  प्रकृति, भाषा, संस्कृति, समुदाय और हिमालय व दुनिया के बीच के जटिल संबंध से प्रेरित छह से अधिक सत्र आयोजित किए गए।
  पहले सत्र में  ‘हिमालयन मेलोडीज़: रॉयल एकेडमी ऑफ़ परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स, भूटान के लेकी त्शेवांग ने भूटानी, पहाड़ी और हिंदी गाने गाए और पारंपरिक भूटानी वाद्य यंत्र बजाया।
  दूसरे सत्र में  ‘कॉल्ड बाय द हिल्स: पुरस्कार विजेता लेखिका अनुराधा रॉय ने अपनी आगामी संस्मरण, कॉल्ड बाय द हिल्स का पहला झलक दर्शकों के साथ साझा किया।
   ‘द वाइल्ड अप क्लोज’ सत्र में संरक्षिका नेहा सिन्हा वाइल्ड एंड विलफुल की लेखिका और  वरिष्ठ न्यूज़ एंकर और पर्यावरण रिपोर्टर गार्गी रावत (टाइगर सीज़न की लेखिका) ने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्रों की नाजुकता पर चर्चा की।
  दोपहर में जान्हवी प्रसादा की नवीनतम पुस्तक, ‘नैनीताल: मेमोरीज़, स्टोरीज़ एंड हिस्ट्री’ का विमोचन पद्मश्री अनूप साह, एस. शेरवानी सहित नैनीताल के अन्य वरिष्ठ जनों द्वारा किया गया।
  पांचवे सत्र में  ‘नेपाल इकोनॉमिक फ़ोरम’ के अध्यक्ष सुजीव शाक्य ने अपनी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक नेपाल 2043 – द रोड टू प्रॉस्पेरिटी पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने नेपाल और व्यापक हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास की क्षमता का परीक्षण किया।
   अंतिम सत्र  ‘शेपिंग लैंडस्केप्स इन द हिमालयज़’ शीर्षक से हुआ । जिसमे इको-आर्किटेक्ट राहुल भूषण और गीली मिट्टी फ़ाउंडेशन की संस्थापक-निदेशक शगुन सिंह के बीच परिचर्चा हुई । जिसमें उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में टिकाऊ डिज़ाइन प्रथाओं और पारिस्थितिक आवास पर ध्यान केंद्रित किया।
शाम के कार्यक्रम में होटल आरिफ़ कैसल में प्रमुख पोषण विशेषज्ञ और लेखिका रुजुता दिवेकर का सत्र ‘मिताहार: फूड विज़डम फ्रॉम माय इंडियन किचन’ और उसके बाद रेहमते-ए-नुसरत द्वारा एक सूफी संगीत की प्रस्तुति हुई ।
 समारोह स्थल के बाहर अदिति सिंह साह द्वारा बनाये गए चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है । इसके अलावा बुक स्टॉल, किलमोड़ा व पिछौड़ा संस्था अल्मोड़ा की संस्थाओं द्वारा निर्मित बनियान आदि का स्टाल,तिब्बती बौद्ध  धार्मिक वस्तुओं की प्रदर्शनी आदि भी लगाई गई है ।
समारोह में केंद्रीय वाणिज्य, इलेक्ट्रॉनिक्स व आई टी राज्य मंत्री जतिन प्रसाद, सेवानिवृत आई ए एस अवनेंद्र सिंह नयाल,आलोक साह, सिध्येश्वर सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग भागीदारी कर रहे हैं ।

By admin

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