नैनीताल । “ऐक्टू से संबद्ध ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (AISWF) का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन, 9-10 सितम्बर 23 को पटना में होगा।
सरकारी स्कीमों में कार्यरत आशा, आंगनबाड़ी, मिड डे मील वर्कर (भोजनमाता) जैसी महिला कामगार जो सरकारी स्कीमों में काम कर रही हैं लेकिन नियमित वेतन, कर्मचारी का दर्जा, पेंशन, सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं उनकी न्यायपूर्ण लड़ाई को सफल बनाने हेतु राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम वर्कर्स के आगामी एकताबद्ध आन्दोलन की रणनीति बनाई जायेगी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पदाधिकारियों का चयन किया जायेगा। राज्य के विभिन्न जिलों से ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन और उत्तराखण्ड आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधि 9-10 सितंबर को पटना में होने जा रहे स्कीम वर्कर्स के आगामी राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होंगे।” यह जानकारी उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) की अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने दी।
उन्होंने बताया कि, “आशा, आगनबाड़ी , भोजनमाता समेत सभी स्कीम वर्कर्स स्वास्थ्य, बाल विकास, शिक्षा समेत विभिन्न विभागों की योजनाओं और अभियानों को चलाने का अहम हिस्सा हैं लेकिन इन महिला कामगारों को कर्मचारियों को मिलने वाले हित लाभ नहीं प्राप्त होते हैं। राज्य स्तरीय आंदोलनों के बल पर इन महिला कामगारों ने कुछ हक हासिल किए हैं लेकिन ये सभी स्कीम केंद्र सरकार द्वारा संचालित होने के कारण नियमित वेतन और कर्मचारी का दर्जा उन्हें नहीं मिल पा रहा है। इन महिला कामगारों को अधिकार देने के उलट मोदी सरकार ने स्कीम वर्कर्स के बजट में कटौती कर आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता वर्करों के लिए दिक्कतें बढ़ा दी हैं। आठ-दस महीनों लंबे अंतराल तक उन्हें मानदेय के लिए तरसना पड़ता है। वो भी बिना आंदोलन धरना प्रदर्शन के नहीं मिलता है। ऐसे में स्कीम वर्कर्स राष्ट्रीय स्तर पर अपना संगठन बनाकर अपने हक हासिल करने की लड़ाई को तेज करने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन करने जा रही हैं।”
उन्होंने कहा कि, “राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम वर्कर्स के आंदोलन को तेज किया जायेगा और पूरे देश की महिला स्कीम वर्कर्स अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए मोदी सरकार को घेरेंगी।”