अल्मोड़ा जिले के भैसियाछाना बिकास खंड के मुख्यालय धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उत्तराखंड राज्य अलग होने के बाद भी अस्तित्व में नहीं आया।
मान्यवर सन 2004 मे धौलछीना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए घोषणा हुई उसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए 2007 में 2 करोड़ 45 लाख की स्वीकृति मिली।सन 2012मे यह अस्पताल भवन व अन्य स्टाफ कमरे बन कर तैयार हुए।
धौलछीना अस्पताल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए अलग अलग डाक्टर,व ओपीडी,, आपातकालीन, अन्य लैबोरेटरी के लिए कमरे तो बने हैं। लेकिन धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उच्चीकरण व विस्तारीकरण हेतू अभी तक शासन प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई।।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम से बोर्ड तो लगा दिया लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की तरह स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं का अभाव है।
भैसियाछाना विकास खंड व रीठागाड क्षेत्र के बुजुर्गो व गर्भवती महिलाओं को पांच से दस किलोमीटर दूर जंगल व पहाड़ी इलाकों से डोली व खच्चरों के द्वारा धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया जाता है। लेकिन धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में न कोई एक्सरे मशीन न अल्ट्रासाउंड मशीन, और न अन्य उपकरण और न पूरा स्टाफ। जिससे मरीजों व ग्रामीणों को घोर निराशा होती है । रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति के सदस्यों व भैसियाछाना विकास खंड के जनप्रतिनिधियों ने धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य का उच्चीकरण व विस्तारीकरण हेतू कई बार शासन प्रशासन से गुहार लगाई परन्तु आज 18 साल होने जा रहे हैं धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की घोषणा को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका ।
रीठागाड क्षेत्र के बीमार व गर्भवती महिलाओं को अक्सर धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से अल्मोडा जिला अस्पताल रिफर कराना पड़ता है जो कि यहां से 60से 70किलोमीटर दूर है।
प्रताप सिंह नेगी सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि एक तरफ सरकार स्वास्थ्य संबंधित सुविधाऐं मुहैय्या कराने का दावा कर रही है। दूसरी तरफ 18 साल से धौलछीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उच्चीकरण व विस्तारीकरण नहीं हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन भेजकर इस समस्या का समाधान करने की मांग की है ।