नैनीताल । स्वयं सेवी संस्था ‘उद्यम मेट्रोस ट्रस्ट’ द्वारा ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू की गई ” घस्यारी” कार्यक्रम की शुरुआत मुक्तेश्वर के निकट सुनकिया गांव में भी की है ।

ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये ‘घस्यारी’ महिलाओं द्वारा संचालित होने वाली सामुदायिक होमस्टे पहल है।इस कार्यक्रम का उद्देश्य गाँव के परिवारों को पारंपरिक कृषि-आधारित आजीविका से आगे बढ़कर अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है।
इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य मेहमानों को सरल और सच्चे पहाड़ी जीवन से परिचित कराना है। महिलाएँ, जिन्हें घास काटने के अपने कार्य के कारण ‘घस्यारी’ कहा जाता है, अब अपने घर और जीवन अनुभवों को पर्यटकों के साथ बाँट रही हैं। जिसके तहत प्रत्येक महिला ने अपने घर का एक कमरा अतिथियों के लिए उपलब्ध कराया है, जिससे मेहमानों को ग्रामीण जीवन का वास्तविक अनुभव मिल सके। इस मॉडल के माध्यम से महिलाएँ खेती, लकड़ी इकट्ठा करने और घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ अब उद्यमी की नई भूमिका भी निभा रही हैं।

इस पहल की तैयारी के लिए महिलाओं के समुदाय को ‘उद्यम सहेली’ कार्यक्रम उद्यम, मेटोर्स ट्रस्ट द्वारा 2017 से संचालित—जो पहाड़ों में ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देता है, के अंतर्गत पूर्ण और समग्र सहयोग प्रदान किया गया। व्यवसायिक मार्गदर्शन और सूक्ष्म ऋण की सुविधा से महिलाओं ने अपने कमरों का नवीनीकरण किया, जिसमें पारंपरिक पत्थर और लकड़ी का उपयोग कर कुमाऊनी वास्तुकला की सुंदरता को बरकरार रखा गया।

उद्यम मेट्रोस ट्रस्ट की संस्थापक अंजलि नबियाल का मानना है कि यह समुदाय-आधारित मॉडल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बनेगा और उम्मीद है कि इसे पूरे उत्तराखंड में दोहराया जाएगा। ‘घस्यारी’ केवल ठहरने की जगह नहीं है, यह जिम्मेदार ग्रामीण पर्यटन के द्वार खोलता है, स्थानीय महिलाओं के लिए स्थायी आय के अवसर प्रदान करता है और पर्यटकों को कुमाऊँ की असली सांस्कृतिक झलक दिखाता है।
मेहमान यहाँ न केवल गाँव के जीवन और परंपराओं से जुड़ते हैं, बल्कि इन महिलाओं के सशक्तिकरण और कल्याण में भी सीधा योगदान करते हैं
बताया कि उद्यम संस्था कुमाऊँ के 4 जिलों नैनीताल,अल्मोड़ा,बागेश्वर आदि में 8 सालों से घस्यारी कार्यक्रम चला रही है और अब तक कई महिलाओं को इससे लाभान्वित किया जा चुका है ।
सुनकिया गांव में इस कार्यक्रम के शुभारम्भ के अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं अन्य स्थानीय लोग मौजूद थे ।