नैनीताल । हाई कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश को अपने कर्मचारियों की शिकायतों पर गौर करने का आदेश दिया है। 2015 में संविदा कर्मचारियों के रूप में काम कर रहे इन कर्मचारियों को आउटसोर्स कर्मचारियों में बदल दिया गया था। ऐसे सभी कर्मचारियों को अदालत ने दो सप्ताह के भीतर निदेशक, एम्स को प्रत्यावेदन देने का निर्देश दिया था।
कर्मचारियों की ओर से दायर याचिका पर वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकर्ता के अधिवक्ता अकरम परवेज ने कोर्ट को बताया कि जुलाई 2015 में 20 से अधिक कर्मचारियों को अनुबंध के आधार पर एम्स में स्टोर कीपर के रूप में नियुक्त किया गया था। पहली दिसंबर, 2018 को जारी एक आदेश के माध्यम से ऐसे सभी कर्मचारियों की स्थिति को आउटसोर्स कर्मचारियों में बदल दिया। कर्मचारी प्रारंभिक नियुक्ति के बाद से लगातार सेवा कर रहे हैं लेकिन बिना किसी उचित कारण के आउटसोर्स कर्मचारी में बदल दिया गया। एम्स के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि यदि याचिकाकर्ता सक्षम प्राधिकारी को प्रतिनिधित्व करते हैं, तो उनक मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।