नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा धार्मिक महत्व के हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउसों को सम्पूर्ण रूप से बंद करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने मंगलौर के लिए बकरीद पर पशुवध करने इजाजद दे दी है । साथ मे कोर्ट ने मंगलौर नगर पालिका व याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिए है कि बकरीद पर पशुवध निर्मित स्लाटर हाउस में ही करें अन्य जगह पर नहीं।
मामले के अनुसार सरकार ने 3 मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले में स्लाटर हाउस पूर्ण रूप से बंद कर दिए थे। जबकि पहले धार्मिक स्थलों तक ही यह आदेश लागू था। जिसके खिलाफ मंगलौर निवासी इफ्तिकार व अन्य ने जनहित याचिका दायर की थी । इस मामले में मंगलौर निवासी फैसल हुसैन ने पक्षकार बनते हुए कहा है कि सरकार धार्मिक क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित कर सकती है लेकिन पूरे जिले में बंद नहीं कर सकती है । यह उनका संवैधानिक अधिकार है। सरकार का यह आदेश अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है। याचिका कर्ता ने 10 जुलाई को बकरीद को देखते हुए सरकार के इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि मंगलौर में 87 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं। इसलिए बकरीद पर उन्हें पशुवध करने की इजाजद दी जाय।
इस मामले में सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट में कहा कि पिछले साल भी बकरीद पर पशुवध की छूट दी गयी थी। परन्तु वहां स्लाटर हाउस होते हुए भी लोगों ने सड़कों, ,गलियों में पशुवध किया गया। जिसकी फ़ोटो याचिका कर्ता द्वारा पेश की । जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए याचिकर्ताओं को सख्त निर्देश दिए कि पशुवध नवनिर्मित पशुवधशाला में ही करें। सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को यह भी बताया कि हरिद्वार हिंदुओ की धर्म स्थली है। इस क्षेत्र में पशुवध करना धर्म के खिलाफ है। सरकार इस पर प्रतिबंध लगा सकती है।