नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड बार काउंसिल के उस प्रस्ताव पर रोक लगा दी है जिसमें बार काउंसिल के कार्यालय हेतु गौलापार हल्द्वानी में खरीदी गई जमीन को बेचने की मंजूरी दी गई थी । उत्तराखंड बार काउंसिल की 26 अगस्त 2025 को हुई बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया था ।
   बार काउंसिल ने अपने इस प्रस्ताव में कहा है
कि गौलापार में 2022;23 में बार काउंसिल ऑफिस के लिये क्रय की गई उपरोक्त भूमि
का वर्तमान समय में कोई भी उपयोग नहीं हो रहा है ना ही भविष्य में उच्च न्यायालय गौलापार में स्थानान्तरित होने की कोई सम्भावना है।  इसलिये भूमि को विक्रय कर दिया जाए । यह प्रस्ताव मंजूर हो गया था । इस प्रस्ताव का बार काउंसिल सदस्य विजय भट्ट, हरी सिंह नेगी, रंजन सोलंकी द्वारा प्रस्ताव विरोध किया गया था ।
   बार काउंसिल के इस प्रस्ताव को भवानीपुर कृष्णा हल्द्वानी निवासी उज्ज्वल सुनाल डहरिया हल्द्वानी निवासी पृथ्वी लमगड़िया ने हाईकोर्ट में चुनौती दी । याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम सी कांडपाल व सी के शर्मा ने कोर्ट को बताया कि उत्तराखंड बार काउंसिल का कार्यकाल दिसम्बर 2024 में ही समाप्त हो गया है और वर्तमान में तदर्थ कमेटी काम कर रही है ।
 इसके अलावा उत्तराखंड हाईकोर्ट की पूर्ववर्ती मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट की एक पीठ ऋषिकेश भेजने का आदेश दिया था । जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है । ऐसे में बार काउंसिल को कैसे अनुमान लगा कि अब हाईकोर्ट शिफ्ट नहीं होगा । जबकि मुख्यमंत्री ने गौलापार में बार काउंसिल कार्यालय का शिलान्यास किया है और एक करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है ।
 इन तथ्यों के आधार पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने हाईकोर्ट बार काउंसिल से 4 हफ्ते के भीतर जबाव देने व याचिकाकर्ताओं से उस पर दो हफ्ते के भीतर प्रति उत्तर देने को कहा है ।

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