नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मंगलवार 20 अगस्त तक निकाय चुनाव का पूरा कार्यक्रम प्रस्तुत करने के साथ ही चुनाव सम्पन्न कराने हेतु राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्त करने से भी कोर्ट को अवगत कराने को कहा है। हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव कराने सम्बन्धी सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं । याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई ।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि लोक सभा चुनाव के कारण तय समय पर निकाय चुनाव नहीं हो सके । लेकिन वर्तमान में प्रशासन अतिवृष्टि से जगह जगह उत्पन्न दैवीय आपदाओं की घटनाओं से निपटने में व्यस्त है। कोर्ट के पूर्व के आदेश पर राज्य सरकार ने निकाय चुनाव कराने की पूरी प्रक्रिया तैयार कर ली है।राज्य सरकार अक्टूबर माह में निकाय सम्पन्न करा लेगी। राज्य सरकार ने अनवर की जनहित याचिका में चुनाव कराने का समय बढ़ाने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। इसलिए उसे भी सुना जाय। याचिकर्तकता कि तरफ से कहा गया कि तय समय के अनुसार चुनाव हो जाने चाहिए थे लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना स्टेटमेंट देकर भी चुनाव नहीं कराए यह तो कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। अभी तक राज्य सरकार ने चुनाव सम्पन्न कराने के लिये राज्य निर्वाचन आयुक्त तक नियुक्त नहीं कर पाई है। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से आने वाले मंगलवार तक चुनाव का पूरी योजना पेश प्रस्तुत करने को कहा है।
जनहित याचिका में कहा गया कि जनवरी में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास ने कोर्ट में पेश होकर कहा था कि 6 महीने के भीतर राज्य में नगर निकायों का चुनाव करा लिए जाएंगे। फिर अप्रैल में भी कहा था कि चुनाव छः माह के भीतर करा लिए जाएंगे। याचिका में सुनवाई के बाद कोर्ट ने सचिव के बयान रिकॉर्ड पर लेते हुए छः माह के भीतर चुनाव कराने को कहा था। परन्तु अभी तक सरकार ने चुनाव नही कराए गए और प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया।
मामले के अनुसार जसपुर निवासी मोहम्मद अनवर व नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर पालिकाओं व नगर निकायों का कार्यकाल दिसम्बर माह में समाप्त हो गया है। लेकिन कार्यकाल समाप्त हुए आठ माह बीत गए फिर भी सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया और निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया। प्रशासक तब नियुक्त किया जाता है जब कोई निकाय भंग की जाती है। उस स्थिति में भी सरकार को छः माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है।
जबकि राज्य में निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है और सरकार बार बार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा रही है ।