नैनीताल । सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें एक अपर जिलाधिकारी की चुनाव रजिस्ट्रेशन अधिकारी पद पर नियुक्ति को लेकर जांच का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश ए डी एम द्वारा अंग्रेज़ी समझ पाने के बावजूद अंग्रेज़ी बोलने में असमर्थता जताने के आधार पर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने 28 जुलाई को, एस एलपी(सी) न. 20376/2025 में सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 18 जुलाई 2025 के आदेश पर “अगले आदेश तक स्थगन” प्रदान किया है।
उच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिया था कि राज्य चुनाव आयुक्त यह जांच करें कि क्या एक ऐसा ए डी एम जो अंग्रेज़ी बोलने में असमर्थ है, वह एक कार्यकारी पद, विशेष रूप से ई आर ओ जैसे संवेदनशील पद को प्रभावी रूप से संभालने के योग्य है या नहीं।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था —
“यह परीक्षण किया जाए कि क्या अपर जिलाधिकारी स्तर का कोई अधिकारी, जो अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान नहीं रखता या स्वयं के अनुसार अंग्रेज़ी में संवाद स्थापित करने में असमर्थ है, वह कार्यकारी पद को प्रभावी रूप से संभाल सकता है?”
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए, राज्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया।
इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट के समक्ष यह प्रश्न भी विचाराधीन था कि क्या “परिवार रजिस्टर” को मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में ई आर ओ द्वारा एक विश्वसनीय दस्तावेज़ के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने देखा कि परिवार रजिस्टर का उल्लेख उत्तर प्रदेश निर्वाचन नियमावली, 1994 में नहीं है, जो कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज (परिवार रजिस्टर का रख-रखाव) नियमावली, 1970 के बाद लागू हुई थी।
इस संदर्भ में हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयुक्त एवं मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार को इस विषय में शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश भी दिया था।