रात्रि 11बजे अर्जुन की पत्नी तानु देवी को अचानक प्रसव पीड़ा उठी तो आशा कार्यकर्ता गीता देवी के साथ कुनखेत कनारीछीना गांव के देवेन्द्र सिंह,कैलाश सिंह, हरेंद्र सिंह, राजू भंडारी, ललित सिंह आदि लोगों ने डोली का इंतजाम किया । गांव से कनारीछीना तक के लिये पैदल मार्ग की हालत अत्यंत खराब है । इस पगडंडी में दिन के समय ही अकेले चलना भी मुश्किल है किन्तु मध्य रात्रि में वर्षा के बीच प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को टॉर्च की रोशनी के सहारे, जंगल के बीच से ले जाना जहां गुलदार का आतंक है, यह सोचकर ही मष्तिष्क में सिहरन सी पैदा होती है । लेकिन ग्रामीणों के समक्ष एक ही विकल्प है किसी तरह तानु देवी को अस्पताल पहुंचाना और उन्होंने रात को ही तानु देवी को निकटतम सड़क कनारीछीना पहुंचाया। कनारीछीना से प्राइवेट गाडी से धौलछीना सी एस सी में भर्ती किया गया। सुबह सात बजे तानू देवी ने कन्या को जन्म दिया जहां बच्चा व मां दोनों स्वस्थ हैं और ग्रामीणों प्रयास व निष्फल सेवा सफल हुई । इन्ही गांवों में दो माह पूर्व एक महिला ने अस्पताल ले जाते वक्त जंगल में बच्चे को जन्म दिया था । जबकि दो हफ्ते पहले ग्रामीण रात्रि में करीब 15 किमी दूर पनुवानौला एक गर्भवती महिला को डोली में ले गए थे ।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी के मुताबिक कनारीछीना से कुनखेत गांव जाने के लिए पैदल चलने का रास्ता तक नहीं है और सरकार के दावे इन ग्रामीणों के लिए ठगी का माध्यम हैं । इन गांवों में गर्भवती महिलाओं,बुजुर्गों, गम्भीर रोगियों के लिये निकटतम सड़क से भी 108 सेवा नहीं मिल पाती और स्वयं के साधनों से अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है और लोगों को इन व्यवस्थाओं पर भरोसा भी नहीं है । इन गांवों में बस डोली ही एम्बुलेंस है और डोली ही 108 सेवा । एक तरफ आधुनिक भारत,दुनिया की तीसरी महाशक्ति के दावे व दूसरी ओर उत्तराखण्ड के गांव के ये हालत । शर्म आती है व्यवस्था पर ।