नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में गुरुवार सुबह भी हुई  ।
 गुरुवार को मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ के समक्ष महाधिवक्ता एस एन बाबुलकर ने लम्बी पैरवी कर सरकार द्वारा 9 जून को जारी रूल्स व उसके बाद बने आरक्षण रोस्टर को सही साबित करने के तर्क रखे ।  महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था । 9 जून जारी यह रूल्स 14 जून को गजट नोटिफाई हो गया था ।
इन तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिये आज अपरान्ह में 1 बजे के लिये रखा है । हाईकोर्ट ने कहा है कि उनकी मंशा चुनाव टालने की नहीं है लेकिन नियमों का पालन जरूरी है ।
जबकि याचिकाकर्ताओं ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम व संविधान के अनुच्छेद 243 टी,डी व अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण में रोस्टर अनिवार्य है । यह संवैधानिक बाध्यता है ।
इस मामले में सरकार की ओर से यह भी तर्क रखा गया कि कुछ याचिकाकर्ताओं के कारण सम्पूर्ण चुनाव प्रक्रिया को नहीं रोका जा सकता ।

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