*पार्श्वपरि एकादशी या परिवर्तनीय एकादशी इस दिन श्री हरि भगवान बदलते हैं करवट महत्वपूर्ण योगों में मनाया जाएगा एकादशी व्रत*
परिवर्तन का अर्थ है बदलाव पद्मा पुराण
और भागवत पुराण के अनुसार इस समय भगवान की पूजा वामन रूप में करनी चाहिए।इसलिए इस रूप की विधि विधान से पूजा करने से इस दिन परमार्थ की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन अवस्था में करवट बदलते
हैं।इसलिए इस एकादशी को परिवर्तनीय एकादशी कहते हैं।
*शुभ मुहूर्त*
इस बार पार्श्वपरि एकादशी या परिवर्तनीय एकादशी दिनांक 14 सितंबर 2024 दिन शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन यदि एकादशी तिथि की बात करें तो छत्तीस घड़ी 46 पल अर्थात रात्रि 8:41 बजे तक एकादशी तिथि है। उत्तराषाढा नक्षत्र छत्तीस घड़ी 23 पल अर्थात रात्रि 8:33 तक है। शोभन नामक योग 30 घड़ी 46 पल अर्थात शाम 6:18 तक है। वणिज नामक करण नौ घड़ी 16 पल अर्थात प्रातः 9:42 तक है। इस दिन चंद्रमा की स्थिति पूर्ण रूपेण मकर राशि में रहेगी।
*पूजा का मुृहूर्त*
14 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी की
पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 6 मिनट से
है। रवि और शोभन योग में आपको भगवान वामन की पूजा कर लेनी चाहिए।व्रत के दिन राहुकाल सुबह 09:11 बजे से10:44 बजे तक है। इस समय मे पूजा
वर्जित है।
परिवर्तनी एकादशी पर बनेंगे 3 शुभ योग
रवि योग: सुबह 6 बजकर 6 मिनट से रात
৪ बजकर 33 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग: रात ৪ बजकर 32 मिनट से 15 सितंबर को सुबह 6 बजकर 6 मिनट
तक शोभन योग: प्रातःकाल से लेकर शाम
6 बजकर 18 मिनट तक उत्तराषाढा नक्षत्र:
प्रात:काल से लेकर रात 8 बजकर 32मिनट तक श्रवण नक्षत्र: रात 8 बजकर 32मिनट से 15 सितंबर को शाम 6 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।
*आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*i