उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कुमाऊं विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में वित्तीय अनियमितता होने व इस अनियमितता की निष्पक्ष जांच कराने को लेकर दायर जनहित निस्तारित कर दी है । मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई । आज हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित जांच समिति की रिपोर्ट कोर्ट में पेश हुई । रिपोर्ट के अनुसार दीक्षांत समारोह में वित्तीय गड़बड़ियां नही पाई गई।इसलिए जनहित याचिका निस्तारित योग्य है । सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के क्रम में सरकार ने इसकी जाँच के लिए चार सदस्यी कमेटी गठित की गई। कमेटी ने जाँच में किसी भी तरह की अनियमिता नहीं पाई । जो आरोप याचिकर्ता द्वारा लगाए गए है वे निराधार हैं । दीक्षांत समारोह के दौरान अचानक मौसम बदल गया था जिसके लिए उसी समय वाटर प्रूफ टेंट की व्यवस्था की गई । जिसके लिए टेंडर निकलना असम्भव था। कॉपी मशीन के नाम पर धन के अपव्यय का भी आरोप लगाया गया  था । जबकि यह मेन्यू में छूट गया था। दीक्षांत समारोह में ऐसी कोई वित्तीय अनियमितता नहीं की गई है। कैटरिंग व टेंट के ठेकेदार द्वारा कहा गया कि जनहित याचिका लंबित होने के कारण उनका अभी तक भुगतान नहीं किया गया।इसलिए मामले को शीघ्र निस्तारित की जाय। मामले के अनुसार नैनीताल निवासी गोपाल सिंह बिष्ट ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान सरकारी धन दुरप्रयोग किया गया । समारोह में 12 सौ लोगों के भोजन की व्यवस्था करने का टेंडर दिया गया था, लेकिन बिल 1676 लोगों के खाने का दिया गया । वहीं काफी मशीन का 84 हजार का बिल अलग से दिया गया । पूरी व रुमाली रोटी का 90 हजार का बिल भी अलग था। याचिकर्ता का कहना है कि  कैटरिंग का बिल 7 लाख 57 हजार होना था जो 15 लाख 34 हजार रुपया दिखाया गया। याचिकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में पूरे प्रकरण की जाँच किसी स्वतन्त्र एजेंसी से कराने की मांग की थी।

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