नैनीताल। देश में गणतंत्र लागू होने के बाद कोविड-19 की गाइड लाइन के कारण पहली बार पांच राज्यों में बिना रैली, चुनाव प्रचार व शोर शराबे के हो रहे विधान सभा चुनाव में फायदा सत्ता पक्ष को होगा या विपक्ष को यह यक्ष प्रश्न इन दिनों आम जनमानस में होना स्वभाविक है । उत्तराखण्ड के नजरिये से सभाएं व रैली न होने से फिलहाल भाजपाई खेमा खुश नजर आ रहा है।
भाजपा के खुश होने के पीछे सबसे अहम कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो बड़ी रैलियां देहरादून व हल्द्वानी में होना है । इन रैलियों में प्रधानमंत्री राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के कामों में मोहर लगा चुके हैं और उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का एलान भी हो चुका है ।दूसरी ओर पिछले छः माह के भीतर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी स्वयं जिलों,तहसीलों के ताबड़तोड़ दौरे कर अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता तक ले जा चुके हैं साथ ही भाजपा विधान सभावार विजय संकल्प यात्राएं निकालकर जगह जगह सभाएं कर चुकी है । जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित कई केंद्रीय मंत्री शामिल रहे थे। जबकि कांग्रेस की एक बड़ी रैली देहरादून में राहुल गांधी की हुई और कांग्रेस चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल,नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की अभी कुछ ही स्थानों सभाएं हो पाई थी।दूसरी ओर भाजपा का अपना जबरदस्त आई टी सेल व सोशियल मीडिया का बूथ से प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर तक विस्तार है । लेकिन इस मामले में कांग्रेस काफी पीछे है । जिसे कांग्रेस को तुरंत अपडेट करना है।
इसके अलावा जिस तरह दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमण की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है उससे चुनाव की तिथि नजदीक आने तक कोरोना के अपने चरम में होने की आशंका है । ऐसी स्थिति में लोग मतदान के लिये पोलिंग बूथ तक जाएंगे इस पर शक होना स्वभाविक है और आशंका के अनुरूप कम मतदान हुआ तो इसका फायदा सत्ता पक्ष को होना ही है जबकि भाजपा का अपना मजबूत कैडर वोटर हैं ही । जिन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाया जा सकता है।