उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ समाजिक कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई की । रेलवे, राज्य सरकार, केंद्र सरकार व प्रभावित लोगों को सुनने के बाद न्यायमुर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की खण्डपीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया साथ मे खण्डपीठ ने पक्षकारों को छूट दी है कि अगर उनको और कुछ कहना है तो वे दो सप्ताह के भीतर अपना लिखित सुझाव कोर्ट में पेश कर सकते हैं। आज सुनवाई के दौरान रेलवे ने अतिक्रमण को हटाने को लेकर 30 दिन का प्लान कोर्ट में भी पेश किया । जिसमें कहा गया कि कोर्ट के आदेश पर उनके द्वारा जिलाधिकारी के साथ 31 मार्च को बैठक हुई थी। बैठक में जिलाधिकारी द्वारा उनसे पूरा प्लान मांगा गया। जो आज उनके द्वारा जिलाधिकारी व कोर्ट में पेश किया गया।जिला प्रशासन से अतिक्रमण हटाने को लेकर सुरक्षा की मांग भी की गई। जनहित याचिका में कुछ कुछ प्रभावित लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वे वर्षों से यहाँ पर रह रहे हैं। यह भूमि उनके नाम खाता खतौनियों में चढ़ी हुई है। रेलवे ने उनको सुनवाई का मौका तक नहीं दिया। पूर्व में रेलवे ने शपथपत्र पेश कर कहा था कि जिला प्रशासन अतिक्रमण को हटाने को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है । इस पत्र के आधार पर कोर्ट ने जिला प्रशासन व रेलवे को निर्देश दिए थे कि दोनों संयुक्त बैठक करें और जिला प्रशासन व रेलवे बोर्ड अतिक्रमण हटाने को लेकर निर्णय लें ।
मामले के अनुसार 9 नवम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुवाईयाँ करें। आज रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमें करीब 4365 लोग मौजूद हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया । जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया। जिस पर आज की तिथि तक कोई प्रति उत्तर नहीं दिया गया। जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेवले का विस्तार हो सके। इन लोगों को राज्य में कहीं भी बसाने की जिमेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर बैध पाए जाते हैं तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं।