नैनीताल ।  उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने बुधवार को वत्सल फाउंडेशन की सचिव श्वेता मासीवाल द्वारा रामनगर के आमडंडा खत्ता के निवासियों को बिजली, पानी और स्कूल की मूलभूत सुविधाएं दिलाए जाने के संबंध में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने भारत सरकार के वन सचिव, सदस्य सचिव नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड, प्रमुख वन्यजीव संरक्षक उत्तराखंड, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, अधिशासी अभियंता यूपीसीएल रामनगर, अधिशासी अभियंता जल संस्थान रामनगर, जिलाधिकारी नैनीताल, मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।

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याचिकाकर्ता का कहना है कि आमडंडा क्षेत्र में विद्युतीकरण को लेकर 2015 में धनराशि आवंटित हो गयी थी। संयुक्त निरीक्षण के अनुसार आमडंडा में विद्युतीकरण के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाना है। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ प्रति हेक्टेयर 75 से अधिक पेड़ काटे जाने पर ही वन ग्राम में विद्युतीकरण के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है। लेकिन इस मामले में अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण 2015 से आज तक विद्युतीकरण नहीं हो पाया है। इसी तरह आमडंडा में पेयजल को लेकर भी वर्ष 2012 से आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि आमडंडा खत्ता के ग्रामीण बिजली, पानी और शिक्षा के अभाव में कष्टमय जीवन जी रहे हैं। अधिकारियों द्वारा लगातार उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं दिलाई जाएं। बुधवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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