नैनीताल । उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा को लेकर दायर स्वतः संज्ञान वाली याचिका पर आज सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने मामले को सुनते हुए राज्य सरकार से 10 मार्च तक जवाब पेश करने को कहा है।मामले की अगली सुनवाई की तिथि 10 मार्च नियत की है । पूर्व में कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि गवाह सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या क्या कदम उठाए है इस पर स्थिति स्पष्ट की जाय। लेकिन आज सरकार ने स्थिति स्पष्ट करने हेतु कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा। कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए अगली सुवाई हेतु 10 मार्च की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सभी राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे अपने राज्य में 2019 के अंत तक न्यायालयों में गवाहों के बयान दर्ज कराने हेतु परिसर बनाएं और उनको सुरक्षा दिलाएं और विटनेस प्रोटेक्शन एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करें। लेकिन राज्य सरकारों द्वारा इसे प्रभावी रूप से लागू नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार इस प्रभावी रूप से लागू कराने के लिए सभी राज्यों को वित्तीय व अन्य सहायता मुहैया कराए। राज्यों को दिए गए निर्देशों में यह भी कहा गया है कि गवाहों को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा न दिए जाने के कारण कई मुकदमों में गवाह या तो पलट जा रहे हैं या फिर गवाही से मुकर जा रहे हैं। इन निर्देशों का पालन कराने हेतु सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के उच्च न्यायलयों को भी निर्देश दिए थे। इसी आधार पर उत्तराखण्ड उच्च न्यायलय ने इस प्रकरण का स्वतः संज्ञान लिया है।