नैनीताल । जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती ने कहा है कि जोशीमठ आपदा के सालभर से अधिक होने के बावजूद अभी तक जोशीमठ को बचाने / स्थाईकरण के लिए कार्य योजना का न बनना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है ।
    नैनीताल में पत्रकारों से वार्ता में अतुल सती ने कहा कि लोगों के लिए विस्थापन पुनर्वास की योजना / नीति न बनना व जनता के लंबे  आन्दोलन की मांगों पर राज्य के मुख्यमंत्री की सहमति के बावजूद उन पर कोई कार्यवाही न होना  सरकार की इस गंभीर मुद्दे पर संवेदनशीलता को समझा जा सकता है ।
आज जबकि मानसून की बारिश से लगातार प्राकृतिक आपदाओं का खतरा सभी पहाड़ी क्षेत्रों में बना हुआ है तब पहले ही धंसाव और दरारों से ग्रस्त नगर जोशीमठ के लिए यह समय और भी खतरे का है । ऐसे में आपदा ग्रस्त प्रभावितों का पुनः अपने दरार वाले घरों में एवम खतरे वाली जगहों में रहना गंभीर बात है , यह सरकार की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह है । जोशीमठ के बारे में जहां बड़े आंदोलन ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा, सरकार का ये रवैय्या है , तब बाकी जगहों के बारे में क्या कहा जाए। जबकि उत्तराखंड का अधिकांश पहाड़ी क्षेत्र आपदा के साए में है । उत्तरकाशी से लेकर धारचुला तक उत्तराखंड का संपूर्ण पहाड़ी क्षेत्र आज संकट की स्थिति में है , नैनीताल शहर की स्थिति भीं अलग नहीं है ।
    उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जोशीमठ का सवाल नहीं है ,विकास का जिस तरह का ढांचा पूरे हिमालय में बनाया जा रहा है ,यह खतरा सभी जगह है ।  चारधाम यात्रा मार्ग , रेलवे की सुरंग और जल विद्युत परियोजनाओं के जाल ने पूरे क्षेत्र को खतरे में धकेल दिया है । जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है । इन योजनाओं के निर्माण से  प्रकृति / पर्यावरण और पारिस्थितिकी का विनाश तो हो ही रहा है यह आने वाली पीढ़ी के भी अस्तित्व पर का संकट खड़ा करेगी । सम्पूर्ण हिमालय जो कि बहुत ही संवेदनशील है, कमज़ोर है, साथ ही जैव विविधता का खजाना है  सारी मानवता की धरोहर है। इसका संरक्षण सभी की जिम्मेदारी है और मानवता के अस्तित्व के लिए भी यह आवश्यक है ।
     इस मौके पर राजीव लोचन साह, प्रो0 उमा भट्ट, एडवोकेट कैलाश जोशी, माया चिलवाल, भारती जोशी,भूमिका, आशीष आदि मौजूद थे ।
    उन्होंने सम्पूर्ण जोशीमठ को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए प्रभावित वर्गों को हुए नुकसान की भरपाई करने, जोशीमठ की आपदा के संदर्भ में देश की शीर्ष आठ संस्थाओं द्वारा किये गए सर्वेक्षण  अध्ययन की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक करने,
 स्थानीय निवासियों की सेना को गयी भूमि का भुगतान करवाया जाय, जिससे इस आपदा काल में लोगों को आर्थिक सहायता हो सके ।
  इसके अलावा तपोवन विष्णुगाढ़ जल विद्युत परियोजना की निर्मात्री एंटीपीसी कंपनी कम्पनी के साथ हुए 2010 के समझौते को लागू किये जाने,
 तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना एवम हेलंग मारवाड़ी बाईपास पर स्थाई रोक लगाने, जोशीमठ के स्थाईकरण एवम नव निर्माण के कार्यों की मॉनिटरिंग के लिये कमेटी बनाने व जोशीमठ बचाओ संघर्ष समीति को इस कमेटी में शामिल किये जाने आदि मांग की गई ।

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You cannot copy content of this page