नैनीताल । जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल राजेन्द्र जोशी की अदालत ने फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनाकर नशे के एक कारोबारी को हाईकोर्ट से जमानत दिलाने के आरोपी की जमानत खारिज कर दी है । आरोपी अपनी पत्नी की दहेज हत्या के जुर्म में जेल में बंद है । आरोपी के खिलाफ मल्लीताल थाने में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल ने धोखाधड़ी व जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया है ।
        अभियोजन पक्ष के अनुसार  शिवराज सिंह पुत्र कुंवर सिंह रावत नि०-देवला तल्ला काठगोदाम के खिलाफ 19 अगस्त 2021 को  हाईकोर्ट रजिस्टार ज्यूडिशियल द्वारा थाना मल्लीताल में मुकदमा दर्ज कराया था। शिवराज जो कि दहेज हत्या के आरोप में जेल में बंद है, ने जेल में एन डी पी एस एक्ट में बंद एक अन्य आरोपी विरेन्द्र  रावत को सलाह दी कि वह मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर अपना अंतरिम जमानत कराये । शिवराज ने उसको फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने का आश्वासन दिया । शिवराज सिंह जब  दहेज हत्या के मामले में हाईकोर्ट से अल्प अवधि के लिए जमानत पर रिहा होकर बाहर आया तो  उसने विरेन्द्र सिंह के भाई सुरेन्द्र से संपर्क किया और सुरेंद्र सिंह से  अपने पिता उमेद सिंह को मेडिकल करवाने हेतु सुशीला तिवारी अस्पताल लाने को कहा और वहां भर्ती करवाया, उमेद सिंह की भर्ती बेड में फोटो खिचवाकर  उन्हें डिस्चार्ज करवाया ।  यह फोटो उच्च न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत की अभियुक्त शिवराजे इसी भर्ती पर्चे के आधार पर कूटरचित मेडिकल रिपोर्ट सह अभियुक्त सुरेन्द्र सिंह को दिये गये, सुरेन्द्र सिंह द्वारा अपने भाई के अल्प अवधि जमानत प्रार्थना पत्र में अपने पिता की देखरेख हेतु मेडिकल का आधार लेकर जमानत प्रार्थना पत्र उच्च  न्यायालय में प्रस्तुत किये। जो उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान जांच करने पर फर्जी पाये गये, जिसके आधार पर थाना मल्लीताल में मुकदमा दर्ज हुआ।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी, नैनीताल सुशील कुमार शर्मा द्वारा अभियुक्त का जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए तर्क रखा कि अभियुक्त आदतन आपराधिक प्रवृति का है, उसके विरुद्ध अपनी पत्नी की दहेज हत्या बावत थाना काठगोदाम में धारा-304बी भा० द०सं० का मुकदमा दर्ज है और मामले की सुनवाई  जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में वास्ते शेष साक्ष्य हेतु लंबित है । अभियुक्त शिवराज सिंह दहेज हत्या के मामले में कई बार  उच्च न्यायालय से अपने पुत्र के इलाज के लिए जेल से अल्प अवधि के लिए अपने को रिहा करवा चुका है। अभियुक्त शिवराज रावत द्वारा एन०डी०पी०एस० एक्ट के मामले में निरूद्ध विरेन्द्र रावत को जमानत में रिहा करने के एवज में फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने हेतु 10 हजार रू० सह अभियुक्त सुरेन्द्र सिंह से दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर गूगल पे के माध्यम से प्राप्त किये हैं और टेलीफोन वार्ता की सी०डी०आर० से भी स्पष्ट है कि  शिवराज सिंह द्वारा कई बार सुरेन्द्र के मोबाइल पर भी वार्ता की है । इन तथ्योंके आधार पर कोर्ट ने आरोपी की जमानत खारिज कर दी ।

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