समाजवादी पार्टी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को अपने बयान में कहा था कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। यह अधर्म है, जो न केवल भाजपा बल्कि संतों को भी हमले के लिए आमंत्रित कर रहा है।
मौर्य ने कहा था कि रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और कुम्हार जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं। उन्होंने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो किसी की जाति या किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं।
रामचरितमानस पर बयान देकर चौतरफा घिरे पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब सफाई दी है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस नहीं, उसकी एक चौपाई को प्रतिबंधित करने की बात कही है। किसी धर्म या किसी भगवान पर कोई टिप्पणी नहीं की है। स्वामी प्रसाद मौर्य खलीलाबाद में कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बौद्ध धर्म हो, जैन धर्म हो, सब हिन्दू धर्म हैं। हम लोगों की पैदाइश उसी धर्म में हुई, जिसमें हमें गाली दी गई। उस समय हमें जो गाली दी गई थी, आज वह व्यावहारिक नहीं है तो उसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए या निकाल देना चाहिए। हमने भगवान या रामायण पर टिप्पणी नहीं की है। हमने चौपाई के उस अंश पर टिप्पणी की है जिस अंश में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और शूद्र समाज को अपमानित करने का काम किया है।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस पर दिए गए बयान से उनके अपने भी नाराज हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मौर्य के बयान पर नाराजगी जताई है। वहीं, पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया है। इस पर सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने बयान जारी कर कहा कि ये स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी बयान है।