हाईकोर्ट ने सरकार को जबाव दाखिल करने हेतु फिर दिया 3 हफ्ते का समय ।
नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान से छह माह का ब्रिज कोर्स कर चुके अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में रेगुलर डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन को ( डीएलएड ) के समकक्ष मानने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की।
मामले की सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने राज्य सरकार को फिर से जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय फिर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 6 नवम्बर की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार अल्मोड़ा निवासी गोपाल सिंह व 115 अन्य ब्रिज कोर्स प्रशिक्षित अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि वे बीएड डिग्रीधारी हैं और एनसीटीई से मान्यता प्राप्त ब्रिज कोर्स किया है। जो प्राथमिक शिक्षक बनने की पूर्ण योग्यता रखते हैं। उनको सरकार विभागीय शासनादेश व प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की विज्ञप्ति में डीएलएड प्रशिक्षण के समकक्ष नहीं मान रही है। जिस वजह से सभी प्रशिक्षित बेरोजगार भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो रहे हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2016 में चयनित बीएड- टीईटी पास शिक्षकों को विशेष सेवारत प्रशिक्षण एनआईओएस से एनसीटीई मान्यता प्राप्त समान नियमों के अंतर्गत दिया गया। इसलिए उन्हें भी विभागीय डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों के समकक्ष माना जाए। 9 अगस्त से काउंसिलिंग शुरू हो गयी है। इसलिए इस काउंसिलिंग में उन्हें भी शामिल किया जाय। ब्रिज कोर्स के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने यह कोर्स एनसीटीई के नियमों के तहत किया है। किंतु उन्हें सरकार व शिक्षा विभाग नई भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं कर रही है।वर्तमान समय मे करीब 2900 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है और उनको भी इसमें प्रतिभाग करने का अवसर दिया जाय।
उन्होंने यह कोर्स वर्ष 2017 से 2019 के बीच पूरा कर लिया था। सरकार का यह भी कहना है कि गतिमान भर्ती प्रक्रिया के लिए कोई प्रशिक्षित अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं । जबकि उनके पास सभी योग्यता है फिर भी उन्हें इस भर्ती में शामिल नहीं किया जा रहा है।