पत्रकार वार्ता-:
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने तथा स्वीकृत पदों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। बार एसोसिएशन ने उत्तराखंड सरकार से अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करने की भी मांग की है ।
एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को भेजे पत्र में कहा है कि वर्तमान में उत्तराखंड हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृति संख्या 11 है, जबकि वर्तमान में मुख्य न्यायधीश सहित 9 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं । इस स्थिति में लगभग 55 हज़ार मुकदमे लंबित पड़े हैं, जिससे वादकारियों और अधिवक्ताओं को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
पत्र में कहा गया कि उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है, जहाँ अधिकतर लोग दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। राज्य के बड़ी संख्या में लोग सेना, अर्द्धसैनिक बलों और सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं, जिसके चलते अधिकांश वाद सेवा मामलों, विशेषकर पेंशन से संबंधित मामलों के होते हैं। न्यायालय में मामलों के लंबित रहने से न्याय मिलने में देरी हो रही है, जो न्याय से वंचित करने के बराबर है।
एसोसिएशन ने मांग की है कि वादों के शीघ्र निस्तारण के लिये हाईकोर्ट में रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए और न्यायालय वादों की संख्या को देखते हुए न्यायाधीशों की संख्या 11 से बढ़ाकर 22 की जाय ।
बार एसोसिएशन ने गुरुवार को इस विषय पर बार सभागार में प्रेस वार्ता भी की । जिसमें बार एसोसिएशन अध्यक्ष दुर्गा सिंह मेहता ने हाईकोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने के अलावा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा बनाये गए अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के ड्राफ्ट को स्वीकार करने व इसे एक्ट के रूप देने की मांग सरकार से की ही । कहा कि कर्नाटक व राजस्थान में अधिवक्ताओं के हित में पहले से ही इस तरह का अधिनियम है ।
प्रेस वार्ता में वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल ने कहा कि उत्तराखंड बार काउंसिल ने उनके अध्यक्ष के कार्यकाल में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करने का प्रस्ताव सरकार को दिया है ।
पत्रकार वार्ता में बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बी डी कांडपाल, पूर्व महासचिव कमलेश तिवारी, दीप जोशी, सौरभ अधिकारी, भुवनेश जोशी,योगेश पचौलिया, संजय भट्ट, श्री बर्थवाल सहित कई अधिवक्ता मौजूद थे ।