नामांकन शुल्क अधिक लेने का कारण भी बताया गया ।
भारतीय विधिज्ञ परिषद् ने सभी राज्य बार काउंसिलों को पत्र लिखकर उनके आगामी चुनावों के लिए चुनाव समितियों के गठन और नामांकन शुल्क की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, सभी राज्य बार काउंसिलों के चुनाव 31 जनवरी, 2026 तक पूरे किए जाने हैं।
चुनाव समिति का गठन:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राज्य बार काउंसिलों के चुनाव कराने और प्रबंधन के लिए ‘चुनाव समितियों’ के गठन की बात कही है।
* यह समिति सात सदस्यों की होगी, जिसमें दो सदस्य (अनुभवी अधिवक्ता) राज्य बार काउंसिलों से बाहर के होंगे।
* बीसीआई मतदाता सूची तैयार करने और रिटर्निंग ऑफिसर तथा एक प्रेक्षक , जो कि हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश होंगे, की नियुक्ति सहित चुनाव की पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समितियाँ गठित करेगा।
* प्रेक्षक की नियुक्ति बीसीआई के नियमों के अनुसार होगी।
वकीलों के सत्यापन की स्थिति:
पत्र में कहा गया है कि चुनाव समिति ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल्स, 2015’ के अनुसार अधिवक्ताओं द्वारा सत्यापन/घोषणा की वर्तमान स्थिति का आकलन करेगी। यदि आवश्यक हुआ तो बीसीआई इस संबंध में उचित दिशा-निर्देशों के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है।
चुनाव लड़ने के लिए ₹1,25,000 का शुल्क:
एक महत्वपूर्ण फैसले में, बीसीआई ने राज्य बार काउंसिल की सदस्यता के लिए चुनाव लड़ने हेतु नामांकन शुल्क ₹1,25,000/- (एक लाख पच्चीस हजार रुपये) निर्धारित किया है, जो गैर-वापसी योग्य होगा।
उच्च शुल्क का कारण:
बीसीआई ने इस उच्च शुल्क का कारण नामांकन शुल्क में कमी के कारण राज्य बार काउंसिलों के पास धन की भारी कमी बताया है। पहले नामांकन के समय उन्हें न्यूनतम/लगभग ₹16,000/- मिलते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह राशि घटकर केवल ₹600/- रह गई है, जिससे राज्य बार काउंसिल चुनाव का खर्च वहन करने में असमर्थ हैं।
बीसीआई के प्रधान सचिव श्रीमंत सेन द्वारा जारी इस पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो सदस्य चुनाव समितियों में शामिल नहीं होंगे, वे अधिनियम और नियमों के अनुसार अपने वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करते रहेंगे। चुनाव समितियों के गठन की सूचना तीन दिनों के भीतर राज्य बार काउंसिलों को दे दी जाएगी।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि सभी राज्य बार काउंसिलों के लिए ‘चुनाव न्यायाधिकरण’ पहले ही गठित किए जा चुके हैं, जिनकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और दो पूर्व हाईकोर्ट न्यायाधीश कर रहे हैं।



