कुलपति प्रो.दीवान सिंह रावत ने भी गाये झोड़े ।
नैनीताल । उत्तराखंड आंदोलन के जन नायक स्व.इन्द्रमणि बड़ौनी की जयंती भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में लोक संस्कृति दिवस के रूप में मनाई गई । इस मौके पर विद्यालय के छात्र छात्राओं ने भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये । छात्राओं द्वारा कुमाउनी झोड़े की मनमोहक प्रस्तुति देख मुख्य अतिथि कुमाऊं विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो.दीवान सिंह रावत ने छात्राओं के साथ झोड़े गाये ।
इससे पूर्व कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत का विद्यालय में पारंपरिक ढोल दमाँऊ
और छोलिया से जोरदार स्वागत हुआ ।
विद्यालय की छात्राओं ने शगुन आंखर गाकर कुलपति का स्वागत किया।
प्रधानाचार्य बिशन सिंह मेहता ने कुलपति का कुमाउनी टोपी पहनाकर स्वागत किया।
छात्राओं ने कुमाऊनी लोकगीत “पार्वती का मैत्यूड़ा देश” प्रस्तुत किया । साथ ही कुमाउनी व्यंजनों के स्टॉल भी लगाए ।
कार्यक्रम में 60 छात्राओं के एक दल ने रंग बिरंगे कुमाऊंनी परिधान और पिछौड़े में शानदार कुमाऊनी चांचरी ” सिलगड़ी का पाला चाला ” व
“” मेरि हीरू न्हैगे रंगीला भाबर “
ने लोगों के मध्य समां बांधा । इस झोड़े की मोहक प्रस्तुति देखकर कुलपति ने भी विद्यालय के शिक्षकों, शिक्षिकाओं,अभिभावकों
और विद्यालय के बच्चों के बीच जाकर बड़े उत्साह से चांचरी में भाग लिया ।
जिससे विद्यालय के बच्चे बेहद प्रफुल्लित हो गए । इस लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध समाजसेवी व हिमालय होटल के मालिक आलोक साह, समाजसेवी गीता साह विशिष्ट अतिथि रहे।
कुलपति प्रो.रावत ने सताक्षी मेहता के निर्देशन में प्राइमरी की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत
कत्थक नृत्य और रंगकर्मी किशन लाल द्वारा निर्देशित चांचरी
और संगीत अध्यापिका नेहा आर्या द्वारा तैयार कुमाऊंनी शगुन आंखर गायन शैली की भूरि- भूरि प्रशंसा की।
कुलपति ने फुटबॉल,बास्केटबॉल,हॉकी,
क्रिकेट, वालीबाल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया।
इसके अलावा प्रथम बार डीएसए मैदान में आयोजित छात्रा फुटबॉल की उप विजेता खिलाड़ियों, नेशनल कैडेट कोर के सर्वश्रेष्ठ 32 कैडेटों, विद्यालय के समस्त सांस्कृतिक कार्यक्रम के छात्रों और छात्राओं विद्यालय के उत्कृष्ट शिक्षकों को भी कुलपति ने प्रशस्ति पत्र वितरित किए ।
कुलपति ने कुमाऊनी भाषा में अपना वक्तव्य दिया । कहा कि वह सन 1988 में एक सामान्य विद्यार्थी की तरह भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय के छात्र रहे हैं । इस विद्यालय ने उन्हें श्रेष्ठ अनुशासन की परंपरा दी जो आज भी मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है । उन्होंने विद्यालय के संस्थापक स्व.प्रताप भैया का भी भावपूर्ण स्मरण किया ।
कुलपति ने कहा की हिंदुस्तान में सभी क्षेत्रीय भाषाओं में लोग अपनी अपनी भाषा का सम्मान करते हुए बात करते हैं सिर्फ कुमाऊं का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें लोगों को कुमाऊनी भाषा बोलने में शर्म महसूस होती है ।
विद्यालयों को कुमाऊनी बोली को बचाने के लिए आगे आना चाहिए, इस दिशा में भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय सराहनीय कार्य कर रहा है ।
विशिष्ट अतिथि आलोक साह ने विद्यालय के सांस्कृतिक रंगमंच की तारीफ की
इस अवसर पर पूर्व दर्जा मंत्री शांति मेहरा, मीनू बुधलाकोटी, रमा भट्ट, रंगकर्मी किशन लाल
कथक प्रशिक्षक सताक्षी मेहता, अजय टम्टा
विद्यालय के शिक्षक प्रवीण सती, आलोक साह ,डॉ. रेनू बिष्ट,महेश, गोविंद बोरा, उत्कर्ष बोरा,
दरपान सिंह,मीनाक्षी बिष्ट, गीतिका नेगी ,शाहनवाज,आलोक भट्ट,
मंजू जोशी,कविता उपाध्याय,गोदावरी आदि उपस्थित रहे । विद्यालय की छात्राओं द्वारा समस्त अतिथियों को अपने हाथों से बनाए गए ऐपण, राज्य पक्षी मोनाल व राज्य पुष्प ब्रह्म कमल के चित्र भेंट किए गए ।
विद्यालय के प्रबंधक अधिवक्ता ज्योति प्रकाश ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया ।