मशरूम की कीमत है 90 हजार रुपया प्रति किलो ।
नैनीताल । जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार की अदालत ने भवाली क्षेत्र के काश्तकारों से कॉर्डिसेप्स मिलिटेरिस मशरूम का लाखों रुपये का भुगतान न करने व केंद्र सरकार व मध्य प्रदेश सरकार के कूटरचित दस्तावेज बनाकर ठगी करने वाले एम्ब्रोसिया फूड कम्पनी के 6 संचालकों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है । यह कम्पनी भवाली में पंजीकृत है । इन आरोपियों द्वारा एफ़ आई आर निरस्त करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी । जिसे हाईकोर्ट ने 10 मार्च को निरस्त कर दिया था ।
इन आरोपियों में गौरवेन्द्र गंगवार पुत्र छत्रपाल गंगवार, निवासी ओरझार पीलीभीत, देवेश सिंह गंगवार पुत्र सत्यपाल गंगवार निवासी महेन्द्र नगर, दोहरा जिला बरेली, पवन कुमारी पत्नी नरसिंह गंगवार, निवासी महेन्द्र नगर, दोहरा बरेली,शैलेन्द्र सिंह पुत्र राममूर्ति सिंह, निवासी 201, सिविल लाईन, बदायूँ, कम्पनी डायरेक्टर नुरूद्दीन शाबुद्दीन पटेल पुत्र शाबुद्दीन पटेल, निवासी तेलंगाना मार्केट, हैदराबाद,डायरेक्टर अतीक पटेल निवासी सिकन्दराबाद,हैदराबाद शामिल हैं ।
इनके खिलाफ भवाली थाने में संदीप रावत व अन्य ने आई पी सी की धारा 419,420,424,464,467,468 के तहत मुकदमा दर्ज किया है ।
अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए अभियोजन अधिकारी द्वारा बताया गया कि अभियुक्तगण द्वारा फर्म एम्ब्रोसिया फूड कम्पनी के नाम से यू-ट्यूब व व्हॅटसअप पर विज्ञापन दिखाकर प्रचार प्रसार किया जिसके झांसे में आकर संदीप रावत व अन्य द्वारा 90 हजार रूपये प्रति किलो की दर से मशरूम बेचने का एम.ओ.यू. अभियुक्तगण की फर्म से साईन किया गया। अभियुक्तगण द्वारा अपनी फर्म को भारत सरकार से जोड़ने हेतु एवं विदेशों से व्यापार करने का भी लालच दिया गया। अभियुक्तगण द्वारा भवाली क्षेत्र में फर्म खोली गयी तथा बढ़े पैमाने पर वादी एवं अन्य किसानों को मशरूम की खेती उत्पादन करने एवं उसे ऊँचे दामों पर विदेशों में भेजने का लालच देकर मशरूम क्रय किया
गया
परन्तु वादी एवं अन्य किसानों को उनके विक्रय किये गये मशरूम के मूल्य का भुगतान नहीं किया गया एवं इस प्रकार वादी तथा मशरूम उत्पादक किसानों के साथ छल, कपट करते हुए छः करोड की धनराशि हडप कर फरार हो गये। साथ ही यह तर्क भी दिया गया है कि अभियुक्तगण द्वारा अपनी पुरानी कम्पनी एम्ब्रोसिया के सभी दस्तावेज गायब कर दिये है तथा विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
एम्ब्रोसिया फूड फार्म कम्पनी के साथ हुए एम.ओ.यू. की शर्तों के अनुसार, कॉर्डिसेप्स मशरूम की पहली चार फसलों का 90,000/- रूपये प्रति किलो के हिसाब से भुगतान होना था। वादी का कहना है कि कोरोना काल में उक्त अभियुक्तगण की फर्म द्वारा कॉर्डिसेप्स मशरूम को कोरोना की दवा बताकर कॉर्डिसेप का उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा गया। साथ ही यह भी बताया कि एम्स नागपुर व एम्स भोपाल के चिकित्सकों की टीम के साथ मिलकर कोरोना की दवाई बनाई जा रही है, जिसके लिए ज्यादा मात्रा में न्यूनतम 100 किलो प्रतिमाह के उत्पादन का झांसा दिया गया तथा मनमाने तरीके से मशरूम की कीमत रूपये 30,000/- प्रति किलो सीमित कर दी गयी, परन्तु ना ही बकाया भुगतान किया गया और ना ही कोई शर्तें पूरी की गयी और फिर अभियुक्तगण द्वारा अपनी उक्त फर्म को बन्द कर दिया गया है तथा नई कम्पनी एम्ग्रसिया न्यू मेडिसिन प्राइवेट लिमि. बना ली है।
इस प्रकार वादी का कहना है कि अभियुक्तगण द्वारा आपराधिक षडयंत्र रचते हुए एवं दस्तावेजों की कूटरचना करते हुए भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार से सम्बन्ध होने का झूठा हवाला एवं झांसा देते हुए उसके साथ एवं अन्य किसानों के साथ छल किया है तथा उनकी धनराशि हडप ली है।
इन तथ्यों के आधार पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने आरोपों को गम्भीर प्रवृत्ति का मानते हुए अग्रिम जमानत खारिज कर दी ।