बार एसोसिएशन की बैठक में पारित प्रस्ताव ।

 

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आम सभा की बैठक 26 मार्च 2025 को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन हॉल में आयोजित की गई, जिसमें न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।

 

बैठक में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से बरामद नकदी के प्रकरण पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और इसे न्यायपालिका की साख के लिए एक गंभीर झटका बताया गया। बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित किया कि जब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। साथ ही, निष्पक्ष जांच के लिए किसी स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति की मांग की गई।

 

सभा में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि देश के सभी उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हर वर्ष अपनी संपत्तियों और देनदारियों की सार्वजनिक रूप से घोषणा करनी चाहिए और इसे संबंधित अदालतों की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए। यदि जांच में न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लगे आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो उनके विरुद्ध महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग भी की गई।

 

इसके अलावा, बैठक में न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली में आवश्यक संशोधन की जरूरत पर बल दिया गया। अधिवक्ताओं की भूमिका को न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग मानते हुए यह संकल्प लिया गया कि वे न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए सतत प्रयास करेंगे। उपरोक्त सभी प्रस्ताव उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आम सभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किए गए।

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बुधवार को हाईकोर्ट बार में हुई अधिवक्ताओं की आम सभा की अध्यक्षता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुर्गा सिंह मेहता ने की । श्री मेहता ने कहा कि जज यशवंत वर्मा के आचरण से न्यायपालिका कलंकित हुई है । इसलिये ऐसे व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ।

डॉ. डी के जोशी ने कहा कि जज यशवंत वर्मा के आचरण से लोकतंत के लिये घातक है । पूर्व अध्यक्ष एमसी पंत ने कहा कि यह केवल यशवंत वर्मा से जुड़ा सवाल नहीं है बल्कि न्यायपालिका की निष्ठा व प्रतिष्ठा से जुड़ा मामला है । इसलिये आमजन को न्याय होना ही नहीं वरन न्याय दिखना भी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने उन्हें दंडित करने के बजाय इलाहाबाद स्थान्तरित कर दिया। जो कि आपत्तिजनक है । इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा किये जा रहे आंदोलन का हम समर्थन करते हैं । उन्होंने नेशनल ज्युडिसिल कमीशन को फिर से लाये जाने की मांग की। योगेश पचोलिया ने कहा कि जज के घर कितना धन पकड़ा गया उसका कोई आंकड़ा नहीं है। इस मामले की गहराई से जांच तक नहीं कराई गई। ईडी या सीबीआई से जांच क्यों नहीं कराई गई। जिससे आमजन व अधिवक्ताओं में शंका होना स्वभाविक है।

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पूर्व महासचिव जयवर्धन कांडपाल ने कहा कि यह घटना देश की न्याय व्यवस्था पर धब्बा है। आज न्याय के देवता ही कलंकित है । उन्हें शर्म होती तो इस्तीफा दे देते।
पूर्व अध्यक्ष सय्यद नदीम मून ने कहा ऐसी घटना पहले भी हो चुकी है। उत्तराखण्ड हाई कोर्ट बार इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं करेगी। वरिष्ठ आधिवक्ता पुष्पा जोशी ने कहा कि इस घटना से आमजन के विश्वास न्यायपालिका से डगमगा गया है ।

उत्तराखंड बार कौंसिल के अध्यक्ष डॉ. महेंद्रपाल ने कहा कि इसके खिलाफ विधेयक लाया जाय। कहा अगर देश में लोकपाल होता तो अब तक इनके खिलाफ अभी तक कार्यवाही हो चुकी होती।

आम सभा में रमन शाह, भुवनेश जोशी, रविन्द्र बिष्ट, कासिफ जाफरी, एस के मंडल, एन के पपनोई, तपन सिंह,वीपी बहुगुणा, दिनेश गहतोड़ी, सौरभ अधिकारी,हेमंत महरा, कुंदन सिंह, सौरभ पांडे,आंनद सिंह मेर,संगीता भारद्वाज, मीना बिष्ट,शक्ति प्रताप सिंह राठौर, हेम जोशी, संजय भट्ट, विनोद तिवारी,सुनील उपाध्याय, नलिन सोन,भूपेंद्र कोरंगा,विकास आनंद, प्रभा नैथानी सहित अन्य अधिवक्ता मौजूद रहे।

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