लालकुंआ विधान सभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की हार का अंतर 17 हजार से अधिक है । इतनी बड़ी हार से पार्टी कार्यकर्ता सदमे में हैं । ज्ञात रहे कि हरीश रावत इस विधान सभा चुनाव में आखिरी दिन तक अपनी सीट तय नहीं कर पाए थे । उन्हें रामनगर से टिकट दिया गया तो वहां रणजीत रावत के भारी विरोध के बाद अपनी सीट बदलनी पड़ी और लालकुआं से पहले से घोषित संध्या डालाकोटी की जगह खुद मैदान में आ गए । जिसके बाद संध्या डालाकोटी के विरोध व बागी प्रत्याशी का उन्हें सामना करना पड़ा । इसके अलावा भाजपा के मोहन बिष्ट का स्थानीय चेहरा व दुख सुख का साथी होना और हरीश रावत के आखिरी मौके पर लालकुंआ आने का प्रचार खूब हुआ और उनकी हार तय हुई । अब उम्र के इस पड़ाव में हरीश रावत के लिये राजनीति का ठिकाना क्या होगा यह खुद हरीश रावत को भी नहीं मालूम होगा । यही नहीं उनके कट्टर समर्थक गोविंद सिंह कुंजवाल, करन मेहरा, गणेश गोदियाल सरीखे नेता भी चुनाव हारे हैं । लेकिन सकून की बात यह है कि हरिद्वार ग्रामीण से उनकी पुत्री अनुपम रावत चुनाव जीती हैं । उन्होंने कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द को हराया है । यतीश्वरानन्द ने पिछला चुनाव हरीश रावत को हराया था ।

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