नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रैगिंग के खिलाफ दायर सचिदानन्द डबराल की जनहित याचिका में शपथ पत्र दाखिल न करने पर यू. जी. सी. के सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के चेयरमैन, जिलाधिकारी नैनीताल सहित पांच प्रतिवादियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को इन प्रतिवादियों के खिलाफ स्वतः संज्ञान अवमानना कार्यवाही दर्ज करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने अपने आदेश में रिकॉर्ड किया कि 22 सितंबर, 2025 को दिए गए पिछले आदेश के पैरा-8 में इन प्रतिवादियों को अनुपालन हलफनामा दाखिल न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया था कि उन पर अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
लेकिन 13 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने पाया कि उक्त अधिकारियों ने न तो कोई अनुपालन शपथ पत्र दाखिल किया गया है और न ही कोई बयान पेश किया गया है।
खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि इससे केवल यही अनुमान लगाया जा सकता है कि इन अधिकारियों को स्वतः संज्ञान अवमानना कार्यवाही दर्ज किए जाने पर कोई आपत्ति या संकोच नहीं है।
अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह इन पांच प्रतिवादियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से स्वतः संज्ञान अवमानना कार्यवाही शुरू करें।
मामले की अगली सुनवाई की 27 अक्टूबर, 2025 निर्धारित की गई है।
यहां बता दें कि सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में हुई रैगिंग के बाद वर्ष 2023 में सचिदानन्द डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी । इस याचिका सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने तब रैगिंग को रोके जाने हेतु राज्य व केंद्र सहित यू जी सी, नेशनल मेडिकल कमीशन,जिलाधिकारी नैनीताल को कई निर्देश जारी कर अदालत के आदेशों के अनुपालन सम्बन्धी रिपोर्ट शपथ पत्र के साथ पेश करने के निर्देश दिए थे ।

इस मामले में 22 सितम्बर 2025 को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने उक्त के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का नोटिस दिया था । जिसका इन प्रतिवादियों की तरफ से कोई जबाव नहीं दिया गया ।