*शश राज योग सहित अनेकों दुर्लभ योगों में मनाई जाएगी इस बार कार्तिक पूर्णिमा।*

 


इस बार कार्तिक पूर्णिमा दिनांक 15 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर चंद्रमा मंगल दोनों एक दूसरे की राशि बदलेंगे इसके बाद एक विशेष योग का निर्माण होगा। दोनों ग्रहों में परिवर्तन होने के बाद एक दूसरे की राशि में स्थित रहेंगे। कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को गजकेसरी राजयोग बन रहा है इसके अतिरिक्त बुधादित्य राजयोग भी इस दिन बनेगा। पंचांग के अनुसार कई वर्षों के बाद कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार शश राजयोग तब बनता है जब शनि ग्रह लग्न या चंद्रमा से केंद्र भाव में होता है। या सीधे शब्दों में कहें शनि कुंडली में लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे ,सातवें ,या दसवें भाव में हो और शनि तुला मकर या कुंभ राशि में हो। यह राजयोग जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में होता है वह व्यक्ति राजाओं जैसी जिंदगी जीता है। चाहे वह गरीब घर में भी पैदा हो लेकिन वह अमीर आदमी बनता है। शश महापुरुष योग पंच महापुरुष योगों में आता है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु मत्स्य अवतार में जल में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन जल में दीप जलाने की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

*शुभ मुहूर्त-:*
इस बार कार्तिक पूर्णिमा दिनांक 15 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। यदि पूर्णिमा तिथि की बात करें तो इस दिन 50 घड़ी 46 पल अर्थात अगले दिन प्रातः 2:58 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस दिन भरणी नामक नक्षत्र 38 घड़ी आठ पल अर्थात रात्रि 9:55 बजे तक है। विष्टि नामक करण 24 घड़ी 55 पल अर्थात शाम 4:38 तक है।

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यदि स्नान दान के शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस दिन प्रात 4:58 बजे से प्रातः 5:51:00 तक स्नान दान का शुभ मुहूर्त है। और इसके साथ ही पूजा के मुहूर्त के बारे में जाने तो इस दिन प्रातः 6:44 बजे से प्रातः 10:45 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।

*क्यों कहते कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा? आइए जानते हैं ये रोचक कथा -:*
पौराणिक कथा के मुताबिक तारकासुर
नाम का एक राक्षस था। उसके तीनपुत्र-तारकाक्ष, कमलाक्ष औरविद्युन्माली भगवान शिव के बड़े पुत्र
कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया।अपने पिता की हत्या की खबर सुन तीनों पुत्र बहुत दुखी हुए। तीनों ने मिलकर
ब्रह्माजी से वरदान मांगने के लिए घोर तपस्या की। ब्रह्माजी तीनों की तपस्या से प्रसन्न हुए और बोले कि मांगों क्या वरदान
मांगना चाहते हो। तीनों ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन
ब्रह्माजी ने उन्हें बताया कि यह संभव नहीं है इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने को कहा।तीनों ने मिलकर फिर सोचा और इस बार
ब्रह्माजी से तीन अलग नगरों का निर्माण करवाने के लिए कहा, जिसमें सभी बैठकर सारी पृथ्वी और आकाश में घूमा जा सके।एक हज़ार साल बाद जब हम मिलें और
हम तीनों के नगर मिलकर एक हो जाएं,
और जो देवता तीनों नगरों को एक ही बाण से नष्ट करने की क्षमता रखता हो,वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया।तीनों वरदान पाकर बहुत खुश हुए
ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया।तारकाक्ष के लिए सोने का, कमलाक्ष के लिए चांदी का और विद्यु्माली के लिए लोहे का नगर बनाया गया। तीनों ने मिलकर तीनों
लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया।
इंद्र देवता इन तीनों राक्षसों से भयभीत हुए
और भगवान शंकर की शरण में गए। इंद्र की बात सुन भगवान शिव ने इन दानवों का नाश करने के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया।
इस दिव्य रथ की हर एक चीज़ देवताओं से बनी। चंद्रमा और सूर्य से पहिए बने।इंद्र, वरुण, यम और कु्बेर रथ के चार घोड़े
बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग प्रत्यंचा बने। भगवान शिव खुद बाण बने और बाण की नोक बने अग्निदेव। इस
दिव्य रथ पर सवार हुए खुद भगवान शिव।भगवानों से बनें इस रथ और तीनों भाइयों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जैसे ही ये तीनों रथ एक सीध में आए, भगवान शिव ने बाण छोड़ तीनों का नाश कर दिया। इसी
वध के बाद भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। यह वध कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ, इसीलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाने लगा।
तो बोलिए भगवान भोलेनाथ त्रिपुरारी की जै। भगवान भोलेनाथ त्रिपुरारी की कृपा आप और हम सभी पर बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ आपका दिन मंगलमय हो।आप सभी को त्रिपुरी पूर्णिमा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

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*आलेख -: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।*

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