*ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार भगवान श्री कृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जानिए क्या है पूजा का मुहूर्त -:*
ज्योतिष गणना के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का अवतरण इस धरती पर आज से 3226 वर्ष ईसा पूर्व द्वापरयुग के अन्त में हुआ था। अर्थात वर्तमान में ईसवी के 2025 वर्ष चल रहे हैं अतः 3226 और 2025 को जोडने पर 5251 वर्ष होते हैं अतः इस वर्ष भगवान श्री कृष्ण का 5251वां जन्मदिन होगा।

शुभ मुहूर्त-:
इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 2 दिन मनाया जाएगा। जहां एक ओर शैव समुदाय के लोग दिनांक 15 अगस्त 2025 दिन शुक्रवार को मनाएंगे तो वहीं दूसरी ओर वैष्णव समुदाय के लोग दिनांक 16 अगस्त 2025 दिन शनिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे। 15 अगस्त 2025 दिन शुक्रवार को यदि अष्टमी तिथि की बात करें तो 45 घड़ी 17 पल अर्थात मध्य रात्रि 11:50 बजे से अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 16 अगस्त को 39 घड़ी 37 पल अर्थात रात्रि 9:35 बजे तक रहेगी। 15 अगस्त के दिन यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन अश्विनी नामक नक्षत्र चार घड़ी 42 पल अर्थात प्रातः 7:36 बजे तक है। तदुप्रांत भरणी नामक नक्षत्र उदय होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त -:
यदि पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो जैसा कि दुर्गा सप्तशती में वर्णित है – “कालरात्रि,महारात्री, मोह रात्रि च दारुणा।”
अर्थात ये तीन रात्रि -महालक्ष्मी पूजा,महा शिवरात्रि, मोह रात्रि (कृष्ण जन्माष्टमी) पुजन निशिता काल मध्य रात्रि में होती है। इस बार यह मुहूर्त 15और16अगस्त की मध्यरात्रि 12:04 बजे से 12:47 बजे तक मात्र 43 मिनट का होगा।
*श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा-:*
स्कंद पुराण के अनुसार द्वापर युग की बात है उन दिनों मथुरा में उग्रसेन नाम के एक राजा हुए।
स्वभाव से वह सीधे- साधे थे। यही वजह थी कि उनके पुत्र कंस ने ही
उनका राज्य हड़प लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा । कंस की एक बहन थी जिसका नाम था देवकी। कंस उससे बहुत स्नेह करता था। देवकी का विवाह वसुदेव से तय हुआ तो विवाह संपन्न होने के बाद कंस उसे स्वयं ही रथ हांकते हुए बहन को ससुराल छोड़ने के लिए रवाना हुआ। स्कंद पुराण के अनुसार जब वह बहन को छोड़ने के लिए जा रहा था तभी एक आकाशवाणी हुई की जिस बहन को तू इतने प्रेम से विदा करने स्वयं ही जा रहा है इसी बहन का आठवां पुत्र तेरा संहार करेगा। यह सुनते ही कंस क्रोधित हो गया और देवकी और वसुदेव को मारने के लिए जैसे
ही आगे बढ़ा तभी वसुदेव ने कहा कि वह देवकी को कोई नुकसान न पहुंचाएँ। वह स्वयं ही देवकी की आठवीं संतान कंस को सौंप देगा।
इसके बाद कंस ने देवकी और वसुदेव को मारने के बजाय कारागार में डाल दिया। कारागार में देवकी ने सात संतानों को जन्म दिया और कंस ने सभी
को एक-एक करके मार दिया। इसके बाद जैसे ही देवकी फिर से गर्भवती हुई तभी कंस ने कारागार
का पहरा और भी कड़ा कर दिया। तब भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की
अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ। तभी श्री विष्णु ने वसुदेव को दर्शन देकर कहा कि वह स्वयं ही उनके पुत्र के रूप में जन्मे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वसुदेव जी उन्हें वृंदावन अपने मित्र नंद बाबा के घर पर छोड़ आएं और यशोदा जी के गर्भ से जिस कन्या का जन्म हुआ है उसे कारागार में ले आए। यशोदा जी के गर्भ से जन्मी कन्या कोई और नहीं बल्कि स्वयं माया थी।यह सब कुछ सुनने के बाद वसुदेव जी ने वैसा ही किया। भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेते हीं
वसुदेव जी ने जैसे ही श्री कृष्ण को अपनी गोद में उठाया कारागार के ताले खुद ही खुल गए। पहरेदार अपने आप ही नींद के आगोश में आ गए। फिर वसुदेव जी कन्हैया को टोकरी में रखकर वृंदावन की ओर चले। कहते हैं कि जिस समय यमुना जी पूरे ऊफान पर थी तब
वसुदेव जी महाराज ने टोकरी को सिर पर रखा और यमुना जी को
पार करके नंद बाबा के घर पहुंचे। वहां कन्हैया को यशोदा जी के पास
रखकर कन्या को लेकर मथुरा वापस लौट आए।
स्कंद पुराण के अनुसार जब कंस को देवकी के आठवीं संतान के बारे
में पता चला तो वह कारागार पहुंचा। वहां उसने देखा की आठवीं
संतान तो कन्या है फिर भी वह उसे जमीन पर पटकने ही वाला था कि
वह माया रुपी कन्या हाथ से छूट कर आसमान में पहुंचकर बोली की रे मूर्ख ! मुझे मारने की कोशिश मत कर मुझे मारने से कुछ नहीं होगा। तेरा काल तो पहले ही वृंदावन पहुंच चुका है।
और बहुत जल्दी ही तेरा अंत करेगा। इसके बाद कंस ने वृंदावन में जन्मे नवजातों का पता लगाया। जब यशोदा के लाला का पता चला तो उसे मारने के लिए कई प्रयास किए। कई राक्षसों को भेजा लेकिन कोई भी उस बालक का बाल भी
बांका नहीं कर पाया तो कंस को यह एहसास हो गया की नंद बाबा का बालक ही वसुदेव देवकी की आठवीं संतान है।
भगवान श्री कृष्ण ने युवावस्था में कंस का अंत किया इस प्रकार जो भी यह कथा पढ़ता है तो उसके सभी पापों का नाश हो जाता है।
तो बोलिए नंद नंदन भगवान श्री कृष्ण की जय। नन्द बाबा एवं यशोदा मैया जी की जै।बसुदेव एवं देवकी जी की जै।
आप सभी को सपरिवार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
*लेखक-: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You cannot copy content of this page