“असली गुनाहगार कौन ?” शीर्षक से जारी की ‘फैक्ट फाइंडिंग’ रिपोर्ट ।
नैनीताल । बनभूलपुरा क्षेत्र में 8 फरवरी को हुई आगजनी, पथराव व पुलिस फायरिंग की तफ्तीश के बाद “कौमी एकता मंच” ने मंगलवार को नैनीताल में ‘बनभूलपुरा हिंसा : असली गुनाहगार कौन?’ शीर्षक से अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पत्रकार वार्ता में जारी की। मंच ने इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करने की मांग की है ।
पत्रकार वार्ता में “कौमी एकता मंच” के सदस्यों ने बताया कि 8 फरवरी को बनभूलपुरा क्षेत्र में हुई हिंसा की अप्रिय घटना के बाद विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने 25 फरवरी 2024 को मंच का गठन किया था। हिंसा के कारणों को जानने के लिए फैक्ट फाइंडिंग, मेहनतकश पीड़ितों को राशन-मेडिकल सहायता, सम्भव कानूनी सहायता करने का लक्ष्य रखा।
फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में बताया गया गया कि प्रशासनिक स्तर पर गंभीर लापरवाही और राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित मुस्लिम अल्पसंख्यक विरोधी माहौल के चलते हो रही घटनाओं की कड़ी में बनभूलपुरा हिंसा की घटना हुई।
आरोप लगाया कि यहां सरकार की दुर्भावना और प्रशासन की लापरवाही का ठीकरा बनभूलपुरा की जनता पर फोड़ने का काम किया जा रहा है। यह घटना पूर्व के अदालती आदेशों को नजरअंदाज करने, कानूनों की अवमानना, खुफिया विभाग की सलाहों को नजरअंदाज करने, प्रशासनिक गलतियों या उकसाने की कार्यवाही से हुई।
प्रेस वार्ता में मंच के सदस्यों ने इस तथ्य पर जोर दिया कि पुलिस के सिपाहियों, महिला पुलिसकर्मियों को चोटें आदि के बारे में बातें की गई। लेकिन बनभूलपुरा के 7 आम मजदूर मेहनतकश मारे गए, इसको भुला दिया जाता है। इससे भी बुरा यह हुआ कि कर्फ्यू के दौरान बनभूलपुरा के इलाके में पुलिस की बर्बरता की कई दर्दनाक घटनाएं हुई। काफी जद्दोजहद के बाद आखिर फईम के भाई के प्रयासों से न्यायालय के कहने पर फईम की हत्या के लिए अज्ञात लोगों पर एफआईआर और जांच की कार्यवाही हो रही है, जबकि परिवार की तरफ से दोषियों के नाम स्पष्ट किये गए हैं। यह प्रशासन की कार्यवाही के दोहरेपन को जाहिर कर देता है। घटना के बाद राज्य के मुख्यमंत्री, क्षेत्र के सांसद आते हैं घायल पुलिसकर्मियों-मीडिया कर्मियों-निगम कर्मियों से मिलते हैं और संवेदना-मुआवजे की घोषणा करते हैं लेकिन बनभूलपुरा हिंसा के मृतकों-पीड़ित आमजनों के लिए कोई संवेदना तक जताना जरूरी नहीं समझते यह व्यवहार न्याय और सत्य का नहीं बल्कि पक्षपात का है।
रिपार्ट में मांग की गई है कि हिंसा की घटना की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच किये जाने, पुलिस गोलीबारी में घायलों को 5 लाख व मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा दिये जाने, कर्फ्यू के दौरान घरों में की गयी तोड़-फोड़ के नुकसान की भरपाई किये जाने की मांग की गई है ।
पत्रकार वार्ता को कौमी एकता मंच की संयोजिका रजनी जोशी (प्रगतिशील महिला एकता केंद्र), उत्तराखंड महिला मंच कि बसन्ती पाठक, ओरो.उमा भट्ट, भाकपा-माले से के.के.बोरा, इंक़लाबी मजदूर केंद्र से रोहित, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के चंदन, नैनीताल समाचार के संपादक राजीव लोचन साह, महिला किसान अधिकार मंच की हीरा जंगपांगी ने सम्बोधित किया।
इसके अलावा दिनेश उपाध्याय परिवर्तन पार्टी, सावित्री सनवाल, प्रो. शीला रजवार व प्रियांशु ने भी पत्रकार वार्ता में मौजूद थे।