*कोजागिरी? का अर्थ है, कौन जाग रहा है?*
आश्विन मास की पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा या शरदपूर्णिमा कहते हैं। यह पूर्णिमा व्रत धन व समृद्धि का आशीष देती है। हिंदू धर्म में इस दिन को जागरण व्रत रखा जाता है। इसे कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।
मान्यता है कि इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का रिवाज है। क्योंकि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत निकलता है।
कोजागिरी पूर्णिमा को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है यह व्रत लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने वाला माना जाता है। “कोजागिरी” एक शब्द नहीं अपितु एक संपूर्ण वाक्य है। एक प्रश्नवाचक वाक्य। यह 3 शब्दों से मिलकर बना है कोजागिरी का अर्थ है कौन जाग रहा है?
को जागि री (को+ जागि+री) यह कुमाऊनी भाषा के 3 शब्दों के संयुक्त होने से बना वाक्य है। जिसका अर्थ होता है कि कौन जाग रहा है? इस दिन मध्य रात्रि को माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है और कोजागिरी,कोजागिरी पुकारती है। अर्थात मेरा कौन कौन भक्त जाग रहा है। माता लक्ष्मी के जो भक्त जागरण कर रहे होते हैं।उन्हें माता लक्ष्मी अनेक प्रकार के धन-संपत्ति आदि प्रदान करती है और उन पर अपनी कृपा बरसाती है।
*शुभ मुहूर्त-:*
इस बार दिनांक 6 अक्टूबर 2025 दिन सोमवार को कोजागिरी पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन यदि पूर्णिमा तिथि की बात करें तो 15 घड़ी 32 पल अर्थात दोपहर 12:24: बजे से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी और अगले दिन प्रातः 9:17 बजे तक रहेगी। इस दिन वणिज नामक करण 15 घड़ी 32 पल अर्थात दोपहर 12:24 बजे तक है। इस दिन यदि चंद्रमा की स्थिति को जानें तो चंद्र देव पूर्ण रूपेण मीन राशि में विराजमान रहेंगे।
*पूजा का शुभ मुहूर्त-:*
यदि पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो कोजागिरी पूर्णिमा पूजा निशिता काल मैं ही करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन निशिता कल में पूजा का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 11:45 बजे से 12:34 बजे तक है। इस दिन चंद्रोदय सायं 5:27 बजे होगा अलग-अलग जगह पर चंद्रोदय का समय भिन्न हो सकता है।
*व्रत कथा*
कोजागिरी पूर्णिमा व्रत की प्रचलित कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी
और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है।
पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है। उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ। जो कुछ दिनों बाद ही फिर से मर गया। उसने लड़के को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया। फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पाटा दे दिया। बडी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे को छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा।
तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता तो।
तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।
*महालक्ष्मी यंत्र (श्री यंत्र) की स्थापना एवं पूजा-:*
कोजागिरी पूर्णिमा पर महालक्ष्मी यंत्र (श्री यंत्र) की स्थापना और पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन, समृद्धि व सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस पूजा में शुद्ध गंगाजल और पंचामृत से यंत्र का अभिषेक करें, लाल वस्त्र बिछाकर उसे उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें और ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नमः’ या ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं’ मंत्र का जाप करते हुए मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
*यंत्र स्थापना और पूजा विधि-:*
1. स्थान की शुद्धिः जिस स्थान पर यंत्र रखना है, उसे साफ-सुथरा कर लें।
2. पवित्र पंचामृत और गंगाजल से लक्ष्मी यंत्र का अभिषेक करें।
3- एक लाल वस्त्र बिछाकर उस पर यंत्र को स्थापित करें।
4. यंत्र स्थापित करते समय अपने मन को शांत रखते हुए ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नमः’ या ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं’ मंत्र का जाप करें।
5. पूजा के बाद देवी महालक्ष्मी से धन और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
*कोजागिरी पूर्णिमा का महत्व-:*
शास्त्रों के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को कोजागिरी व्रत करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
इस रात देवी लक्ष्मी का आगमन होता है, इसलिए रात्रि में घर के मुख्य द्वार खोलकर रात्रि जागरण करने और देवी का स्वागत करने का विधान है।
*चन्द्र पूजा के पांच सरल मंत्र -:*
1. ॐ ऐं क्लीं सौमाय नामाय नमः।
2. ॐ श्रीं श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
3. ॐ सों सोमाय नमः।
4. ॐ चं चंद्रमस्यै नमः
5. ॐ शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नमः
इन मंत्रों का विधिवत जाप करने से संपूर्ण पूर्णिमा का दिव्य फल प्राप्त होता है।
आप सभी को शरद पूर्णिमा कोजागिरी पूर्णिमा की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं। मां लक्ष्मी की कृपा आप हम सभी पर बनी रहे।
*आलेख -: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*

