या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण
संस्थिता।
नमस्तस्यै !नमस्तस्यै !!नमस्तस्यै!!! नमो नमः ।।

अर्थात : हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा
बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। हे मां! मुझे अपनी कृपा का पात्र
बनाओ।

शुभ मुहूर्त–
दिनांक 23 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी ।इस दिन नवमी तिथि 28 घड़ी 30 पल अर्थात शाम 5:45 बजे तक है। यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन श्रवण नामक नक्षत्र 27 घड़ी पांच पल अर्थात शाम 5:11 बजे तक है। यदि योग की बात करें तो इस दिन शूल नामक योग 31 घड़ी आठ पल अर्थात शाम 6:48 बजे तक है। बात यदि करण की करें तो इस दिन एक घड़ी 23 पल अर्थात प्रातः 6:54 बजे तक बालव नामक करण है।

मां दुर्गा जी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन
शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की
प्राप्ति हो जाती है।
सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की
सामर्थ उसमें आ जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां
होती हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है।
इनके नाम इस प्रकार हैं- 1. अणिमा 2. लघिमा
3. प्राप्ति 4. प्राकाम्य 5. महिमा 6.ईशित्व,वाशित्व 7.सर्वकामावसायिता 8.सर्वज्ञत्व 9. दूरश्रवण 10. परकायप्रवेशन 11.वाक्सिद्धि 12. कल्पवृक्षत्व 13. सृष्टि 14.संहारकरणसामथ्थ्य 15.अमरत्व 16.सर्वन्यायकत्व 17. भावना 18. सिद्धि

मां सिद्धिदा्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा
से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्धनारीश्वर
नाम से प्रसेद्ध हुए।
मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है
कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें। उनकी आराधना की ओर
अग्रसर हो।
इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। अन्य आठ दुर्गाओं की
पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार
करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं।
इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक,पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री मां के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पूहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस- पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-
शून्य हो जाता है।
मां भगवती का परम सान्रिध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे
अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह
जाती। मां के चरणों का यह सान्रिध्य प्राप्त करने
के लिए हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करनी चाहिए। मां भगवती का स्मरण,
ध्यान, पूजन, हमे इस संसार की असारता का
बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है।
इनकी आराधना से जातक को अणिमा, लधिमा,प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व,
सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश,वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है।
आज के युग में इतना कठिन तप तो कोई नहीं कर सकता लेकिन अपनी शक्तिनुसार जप, तप,
पूजा-अर्चना कर कुछ तों मां की कृपा का पात्र
बनता ही है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए
आराधना सरल है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने
के लिए नवरात्रि में नवमी के दिन माता का विधि विधान से पूजन करना चाहिए।

ALSO READ:  कुमाऊं विश्व विद्यालय के नए कुलसचिव मंगल सिंह मंद्रवाल का कूटा ने किया स्वागत ।

*मां सिद्धिदात्री की आरती*

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धी।
तेरे नाम से मन की होती है शु्धि।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम।
हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में न कोई विधि है।
तू जगदंबे दारती, तू सर्वसिद्धी है।।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो।
तेरी मर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काम कराती है उसके पूरे।
कभी काम उसके रहे न अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया।।
सर्व सिद्धी दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही मां अंबे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महानंदा मंदिर में है वास तेरा।।
मुझे आसरा तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।
बोलिए मां सिद्धिदात्री की जै।

ALSO READ:  राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने सम्बन्धी विधेयक को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती । हाईकोर्ट ने 6 हफ्ते में मांगा सरकार से जबाव ।

मां सिद्धिदात्री की कृपा आप और हम सभी पर बनी रहे। इसी मंगल कामना के साथ आपका दिन मंगलमय हो।
।।जै माता दी 🙏।।
आलेख – आचार्य पंडित प्रकाश जोशी, गेठिया नैनीताल।

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You missed

You cannot copy content of this page