*आयुष्मान योग में होगी मां दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा। शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व।*
दिनांक 28 सितंबर 2025 दिन रविवार को मां कात्यायनी की पूजा होगी।

 


शुभ मुहूर्त-:
दिनांक 28 सितंबर 2025 दिन रविवार को यदि षष्ठी तिथि की बात करें तो इस दिन 20 घड़ी 50 पल अर्थात दोपहर 2:27 बजे तक षष्ठी तिथि रहेगी। इस दिन जेष्ठा नामक नक्षत्र 54 घड़ी 30 पल अर्थात अगले दिन प्रात 3:55 बजे तक है। आयुष्मान नामक योग 46 घड़ी दो पल अर्थात मध्य रात्रि 12:32 बजे तक है। इस दिन तैतिल नामक करण 20 घड़ी 50 पल अर्थात दोपहर 2:27 बजे तक है। यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो चंद्र देव वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे।

नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है। कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।
इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।

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भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं।
इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

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पूजा विधि -:
माता कात्यायनी का चित्र या यंत्र सामने रखकर रक्तपुष्प से पूजन करें। यदि चित्र में यंत्र उपलब्ध न हो तो देवी माता दुर्गाजी का चित्र रखकर निम्न मंत्र की 51 माला नित्य जपें, मनोवांछित प्राप्ति होगी। साथ ही ऐश्वर्य प्राप्ति होगी।

मंत्र – ‘ॐ ह्रीं नमः ।।’

चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दुलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ।।

मंत्र – ॐ देवी कात्यायन्यै नमः ॥

देवी का प्रसाद-: कात्यायनी की साधना एवं भक्ति करने
वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए। या फिर शहद का अलग से भोग भी लगा सकते हैं।
मां शक्ति के नवदुर्गा स्वरूपों में मां कात्यायनी देवी को छठा रूप माना गया है। मां कात्यायनी देवी के आशीर्वाद से विवाह के योग बनते हैं साथ ही वैवाहिक जीवन में भी खुशियां प्राप्त होती हैं।

मां कात्यायनी की कृपा आप हम सभी पर बनी रहे ।

आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

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By admin

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