27 सितंबर दिन शनिवार को नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा होगी।
शुभ मुहूर्त-:
दिनांक 27 सितंबर 2025 दिन शनिवार को यदि पंचमी तिथि की बात करें तो 14 घड़ी 55 पल अर्थात दोपहर 12:04 बजे तक पंचमी तिथि रहेगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो अनुराधा नामक नक्षत्र 47 घड़ी 35 पल अर्थात मध्य रात्रि 1:08 बजे तक है। इस दिन प्रीति नामक योग 44 घड़ी 10 पल अर्थात मध्य रात्रि 11:46 बजे तक है। यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो चंद्र देव पूर्ण रूपेण वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे।
पूजा का शुभ मुहूर्त-:
प्रातः 4:36 से प्रातः 6:12 तक।
अभिजीत मुहूर्तः- दोपहर 11:48 से 12:36 तक
संध्या पूजा मुहूर्तः- शाम 6:30 से 7:42 तक।
इन मुहूर्तों में पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।
इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।
शास्त्रों में इसका काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।
उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है यानी चेतना का निर्माण करने वालीं। कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं।
मां स्कंदमाता के महत्वपूर्ण मंत्र-:
मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है।
सिंहासन गता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्द माता यशस्विनी ॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः ॥
संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कन्द माता का मंत्र।
पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कन्द माता हैं।
इसके अतिरिक्त इस मंत्र से भी मां की आराधना की जाती है:-
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
आलेख-: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।



